अध्यात्म

इस मंदिर में होती है मेढ़क की पूजा, जानिए कारण?

इस मंदिर में होती है मेढ़क की पूजा, जानिए कारण?
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भारत देश वैसे भी विविधताओं का देश कहलाता है।

भारत देश वैसे भी विविधताओं का देश कहलाता है। आज भी यहां कई ऐसे चमत्कारिक मंदिर है जिनके बारे में सुनकर व्यक्ति आश्चर्यचकित रह जाता है। आज एक ऐसे मंदिर के बारे में बात करने जा रहे हैं जो भगवान भेलेनाथ का मंदिर है। लेकिन वह मेंढक मंदिर के नाम से विख्यात है। मंदिर इतना अद्भुत है कि दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं। कई बार वैज्ञानिक भी मंदिर के रहस्य को जानने के लिए पहुंचे लेकिन ज्यादा जानकारी नहीं एकत्र कर पाए।

अद्भुत है मंदिर

इस विशाल मंदिर में स्थापित शिवलिंग बहुत ही अद्भुत है। बताया गया है कि इस मंदिर में मेंढक की भी मूर्ति है। कहा जाता है कि मेंढक की वजह से शिवलिंग का रंग बदलता है। साथ ही मंदिर में स्थापित नंदी की मूर्ति इतनी अद्भुत है कि देखने वाले लोगों द्वारा ही कहा जाता है कि इस तरह की दूसरी मूर्ति आज तक उन्होंने कहीं नहीं देखी।

कहां स्थापित है यह मंदिर

जानकारी के अनुसार मंदिर की स्थापना कब और किसके द्वारा की गई यह स्पष्ट नहीं है। वर्तमान समय में यह मंदिर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के ओयल नामक बस्ती में स्थित है। माना गया है कि इसकी स्थापना ओयल शैव्य सम्प्रदाय के लोगों द्वारा करवाया गया था। इसका निर्माण 11वीं शताब्दी के पूर्व का बताया जा रहा है। स्थानीय लोगों द्वारा तथा मंदिर के पास मिले कुछ लेखों से पता चलता है कि तो मंदिर का निर्माण राजा बख्श सिंह ने करवाया था।

क्या है मान्यता

इस मंदिर के संबंध में मान्यता है कि यहां एक मेंढक की मूर्ति है। कहा जाता है कि मेंढ़क की वजह से शिवलिंग का रंग परिवर्तित होता है। वही इस मंदिर में एक ऐसे नंदी की मूर्ति स्थापित है जो अद्भुत और अलौकिक है। लोगों का कहना है कि इस तरह की नंदी की मूर्ति दूसरी उन्होंने कहीं नहीं है।

यहां होती है तांत्रिक पूजा

कहा जाता है कि शिवलिंग की स्थापना, पूजा तथा देखरेख का जिम्मा शैव संप्रदाय के लोगों द्वारा किया जाता रहा। यहां ज्यादातर लोग शैव संप्रदाय के अनुयाई बताए गए हैं। इस मंदिर में तांत्रिक पूजा विधि विधान से की जाती है। मंदिर की दीवार पर कई ऐसे देवी देवताओं की प्रतिमा लगी हुई है जिनके द्वारा तंत्र क्रिया की जाती है।

प्राकृतिक आपदाओं से बचाव

इस मंदिर के संबंध में स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यहां कभी भी प्राकृतिक आपदाएं नहीं आती। स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर में स्थापित देवी देवताओं की पूजा करने का परिणाम है कि यहां कभी भी प्राकृतिक आपदा नहीं आई। मंदिर में विराजमान भगवान भोलेनाथ सभी आपदाओं को अपने में समाहित कर लेते हैं और लोगों की रक्षा करते हैं।

आसपास के कई कई किलोमीटर दूर से लोग मंदिर में दर्शन करने आते हैं। महाशिवरात्रि के दिन इस मंदिर में बहुत बड़ा मेले का आयोजन किया जाता है। यहां दूरदराज प्रदेश के दूसरे जिलों के निवासी भी इस मंदिर में आते हैं।

नोट-ः उक्त समाचार में दी गई जानकारी सूचना मात्र है। रीवा रियासत समाचार इसकी पुष्टि नहीं करता है। दी गई जानकारी प्रचलित मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।

Sandeep Tiwari | रीवा रियासत

Sandeep Tiwari | रीवा रियासत

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