अध्यात्म

Chanakya Niti in Hindi : इन लोगों से हमेशा बनाए रखें दूरियां, नहीं तो धन एवं जीवन हो जाएगा नष्ट! 

Manoj Shukla
17 March 2021 1:11 PM GMT
Chanakya Niti in Hindi : इन लोगों से हमेशा बनाए रखें दूरियां, नहीं तो धन एवं जीवन हो जाएगा नष्ट! 
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Chanakya Niti in Hindi : जीवन में मनुष्य का कई प्रकार के लोगों से पाला पड़ता हैं। कई लोग ऐसे होते हैं जो आपके सबसे करीबी बनने का ढोंग करते हैं लेकिन असल में वह आपके सबसे बड़े दुश्मन होते हैं। आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में ऐसे ही लोगों से बचने की सलाह अपने नीति शास्त्र में श्लोक के माध्यम दी है।

Chanakya Niti in Hindi : जीवन में मनुष्य का कई प्रकार के लोगों से पाला पड़ता हैं। कई लोग ऐसे होते हैं जो आपके सबसे करीबी बनने का ढोंग करते हैं लेकिन असल में वह आपके सबसे बड़े दुश्मन होते हैं। आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में ऐसे ही लोगों से बचने की सलाह अपने नीति शास्त्र में श्लोक के माध्यम दी है। आचार्य चाणक्य अर्थशास्त्र, नीति शास्त्र के बहुत ज्ञाता था। उन्होंने अपने श्लोकों के माध्यम से मनुष्य को किस प्रकार से जीवन जीना चाहिए। किन लोगों से मित्रता बनाए रखना चाहिए। जीवन में किस प्रकार का गुण करना चाहिए आदि तरह की उन तमाम बातों का जिक्र किया हैं। आचार्य द्वारा बताई गई इन बातों को फालो करके मनुष्य सुखमय जीवन जी सकता हैं। तो चलिए जानते है आखिर आचार्य किन लोगों से दूर रहने की सलाह देते हैं।

आचार्य चाणक्य अपने श्लोकों के माध्यम से कहते है कि जो मनुष्य एक-दूसरे की गुप्त बातों को उजागर कर देते हैं। ऐसे मनुष्य को आचार्य ने पतित, अधम एवं दुष्ट कहा है। आचार्य कहते है कि ऐसे व्यक्ति पहले एक-दूसरे की बातों को शेयर करके उन्हें अपमानित करके आनंद का अनुभव करते हैं। लेकिन बाद में बांस में फंसे सर्प की तरह उनका नाश हो जाता है। मनुष्य को ऐसे लोगों से बचकर रहना चाहिए। ऐसे लोग आपके धन एवं जीवन दोनों को नष्ट करने की फिराक में रहते हैं।

उदाहरण स्वरूप जिस प्रकार से सोने में सुगंध, चंदन में फूल एवं गन्ने में फल नहीं होते हैं। उसी प्रकार विद्वान न तो धनी होते हैं और न ही राजा दीर्घायु। सृष्टि के रचयिता को इस विषय में जो उचित लगा उन्होंने किया। सृष्टि के नियमों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन संभव नही हैं। इसी तरह आचार्य ने अपने नीति शास्त्र में सुखी जीवन जीने की भी सलाह दी हैं। आचार्य कहते है कि जिन मनुष्य के मन में दूसरों के प्रति पाप नहीं होता हैं। जिनका मन हमेशा परोपकार के बारे में सोचता हैं। वह हमेशा सुख-समृद्धि को प्राप्त करता हैं। क्योंकि दूसरों के सुख जलन रखने वाला व्यक्ति हमेशा दुखी ही रहता हैं। इसलिए मन को हमेशा कन्ट्रोल में रखना चाहिए और हमेशा परोपकार की भावना मन में रखनी चाहिए।

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