अध्यात्म

Chanakya Niti: अगर धनवान व्यक्ति भी करते हैं इस तरह की गलती, तो हो जाएंगे कंगाल, आचार्य चाणक्य ने बताई धन की गति

Chanakya Niti: अगर धनवान व्यक्ति भी करते हैं इस तरह की गलती, तो हो जाएंगे कंगाल, आचार्य चाणक्य ने बताई धन की गति
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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य कहते है कि जीवन में धन अर्जन करना बड़ी बात है।

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य कहते है कि जीवन में धन अर्जन करना बड़ी बात है। धन संग्रह करना उससे बड़ी बात है। लेकिन धन का सही जगह पर उपयोग करना सबसे बड़ी बात है। धन से जुड़ी हुई इससे बड़ी बात नहीं हो सकती। चाणक्य कहते हैं कि कई बार कुबेर जैसे धन्ना सेठ भी कुछ ऐसी गलती कर बैठते हैं जिससे धन नष्ट हो जाता है। धन की बचत के संबंध में आचार्य चाणक्य का मानना है के उसे बहुत सोच समझ कर बचाना और खर्च करना चाहिए।

प्रवाह रुकते ही होता है नष्ट

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि धन और जल का प्रवाह रोक देने पर वह नष्ट हो जाता है। ऐसे में कहा जा सकता है अत्याधिक धन संग्रह करना उसे खर्च न करना धन को नष्ट करने के बराबर है। उनका कहना है कि धन को केवल बचाना नष्ट करना एक समान है। ज्यादा धन बचाने से वह स्वमेव ही नष्ट हो जाता है। उन्होंने बताया है कि अगर किसी बहते हुए जल को एक जगह संग्रह किया जाए। उसे खर्च न किया जाए तो अवश्य ही उस जल में कीड़े पड़ जाते हैं और वह जल किसी काम का नहीं बचता।

धन की होती है 3 गति

  • आचार्य चाणक्य बताते हैं कि धन की 3 गति होती है। उपयोग करना, दान करना और नष्ट हो जाना। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर धन एकत्र कर लिया गया है तो उसका सार्थक उपयोग अवश्य करना चाहिए। सार्थक उपयोग नहीं किया गया तो भी धन नष्ट हो जाता है।
  • साथ ही आचार्य ने बताया है कि धन अर्जन करना चाहिए। लेकिन उसे धर्म कार्य में, दान में अवश्य खर्च करना चाहिए। यह भी धन खर्च करने के लिए उत्तम बताया गया है। अगर धर्म के कार्य पर धन खर्च किया जाता है तो वह घटने के बजाय बढ़ता है। साथ ही ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है
  • धन की तीसरी गति के संबंध में आचार्य चाणक्य का कहना है की अगर धन का न दान किया गया। न उस धन को उपयोग में लिया गया। तो वह धन अवश्य ही नष्ट हो जाएगा। इस तरह के धन को नष्ट होने से कोई भी बचा नहीं सकता।

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