अध्यात्म

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी भी चीज़ की अति नहीं करनी चाहिए, नहीं तो होते है ऐसे नुकसान

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी भी चीज़ की अति नहीं करनी चाहिए, नहीं तो होते है ऐसे नुकसान
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Chanakya Niti: जगत में आचार्य चाणक्य को प्रखाण्ड विद्वान माना गया है। कहा जाता है कि आचार्य ने अपनी बुद्वि के बल पर मगध जैसे सामराज्य में सत्ता परिवर्तन कर दिया था।

Chanakya Niti: जगत में आचार्य चाणक्य को प्रखाण्ड विद्वान माना गया है। कहा जाता है कि आचार्य ने अपनी बुद्वि के बल पर मगध जैसे सामराज्य में सत्ता परिवर्तन कर दिया था। साथ ही अखण्ड भारत निर्माण की कल्पना करते हुए उसके लिए अथक प्रयास कर सफलता भी अर्जित की। आचार्य चाणक्य को महान राजनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री और अर्थशास्त्र का रचयिता माना जाता है। आचार्य द्वारा लिखी नीति में बताया गया है कि मनुष्य को कभी भी किसी भी क्षेत्र में इति नहीं करनी चाहिए। अन्यथा कई बार विनाश का सामना करना पड़ता है।

जब मोहित हुआ रावण

आचार्य चाणक्य ने अपने एक स्लोक में कहा है कि माता सीता अति सुंदर थी। हो भी क्यों न वह जगत जननी मामा लक्ष्मी का अवतार थी। लेकिन उनकी सुंदरता पर मोहित होकर रावण उन्हे उठा ले गया था।

रावण के अंत का कारण अति घमंड

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि रावण अति घमंडी था। उसे अपने बल पर इतना घमंड हो गया था कि उसे लगने लगा कि उससे ज्यादा बलसाली पृथ्वी क्या ब्रह्मांड में कोई नही है। ऐसे में भगवान श्री राम अवतरित हुए और रावण के इस घमंड को चूर-चूर कर दिया। उसका कुल सहित नाश कर दिया।

अति दानी होना भी कष्टकारी

जीवन में दान करना उत्तम बताया गया है। लेकिन उसमें भी अति नहीं करनी चाहिए। आचार्य चाणक्य बताते हैं कि महादानी राजा बलि को छला गया क्योंकि वह अति दानी हो गये थे।

भोजन में अति

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि भोजन चाहे कितना भी स्वादिष्ट हो उसका भी सीमित मात्र में सेवन करना चाहिए। क्योंकि भोजन करने में अगर अति कर दी जाय तो वह जानलेवा हो जाता है।

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