अध्यात्म

Chaitra Navratri 2021 : इस दिन से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि, जानिए व्रत कथा महत्व, पूजा विधि एवं घट स्थापना का शुभ मुर्हूत

Manoj Shukla
2 April 2021 4:51 PM GMT
Chaitra Navratri 2021 : इस दिन से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि, जानिए व्रत कथा महत्व, पूजा विधि एवं घट स्थापना का शुभ मुर्हूत
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Chaitra Navratri 2021 : चैत्र नवरात्रि शुरू होने के लिए अब गिनती के ही दिन बचे हुए हैं। मान्यता है कि इस नौ देवियों की उपासना करने से भक्तों के सभी कष्टों का नाश होता है और उनकी हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 

Chaitra Navratri 2021 : चैत्र नवरात्रि शुरू होने के लिए अब गिनती के ही दिन बचे हुए हैं। मान्यता है कि इस नौ देवियों की उपासना करने से भक्तों के सभी कष्टों का नाश होता है और उनकी हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

Chaitra Navratri 2021 : इस दिन से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि, जानिए व्रत कथा महत्व, पूजा विधि एवं घट स्थापना का शुभ मुर्हूत

Chaitra Navratri 2021 : इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरूआत 13 अप्रैल से हो रही हैं। मान्यता है कि नवरात्रि में मां जगत जननी की नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उनकी हर मनोकामनाएं पूरी होती है। चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन रामनवमी पर्व बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि के 9वों दिन मां दुर्गा के मंदिरों में भक्तों की जमकर भीड़ उमड़ती हैं। इस दिन भक्त मां की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करके उनसे जीवनभर सुखी रहने का आर्शिवाद प्राप्त करते हैं।

नवरात्रि के दिनों में भक्त घट स्थापना करते हैं। व्रत रखते हैं। अखण्ड दीप जलाते है जवारे बोते है, भगत गीत गाते है। मंत्रो के बीच विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं, कन्या पूजन करते हैं उन्हें खाना खिलाते हैं। कन्या पूजन का ज्यादातर चलन पंचमी, अष्टमी एवं नवमी को देखने को मिलता हैं। मान्यता है कि 9 रात्रि के दिन विधि-विधान से मां की स्तुति करने से विशेष पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है।

घट स्थापना शुभ मुर्हूत

हिन्दू पंचांगों की माने तो 13 अप्रैल के दिन घट स्थापना की जाएगी। जिसके लिए शुभ मुर्हूत सुबह 5 बजकर 28 मिनट से सुबह 10 बजकर 14 मिनट रहेगा। घट स्थापना के दौरान भक्त सबसे पहले मां दुर्गा के समक्ष अखण्ड दीप जलाएं। फिर मिट्ट के बर्तन में मिट्टी डालकर जौ के बीच बोएं। इसके बाद मिट्टी के कलश या स्वच्छ लोटे में कलवा बांधे, स्वास्तिक बनाएं। फिर कलश तैयार करने के लिए उसमें जल डाले, आम के पत्ते डाले, फिर हल्दी, दूब, सुपारी डाले। इसके बाद कलश के ढक्कन के बंद करके उसमें अनाज डाले। फिर जटा वाले नारियल को लाल कपड़े से बांधकर अनाज के उपर रखें। फिर इस कलवा को जौ वाले पात्र के बीच रखकर देवी-देवताओं का आव्हन करते हुए विधि-विधान से पूजन करें।

22 अप्रैल को है रामनवमी

हिन्दू पंचागों की माने तो इस साल रामनवमी का पर्व 22 अप्रैल को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। पौराणिक कथाओं की माने तो त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया था। इस यज्ञ से उन्हें खीर की प्राप्ति हुई थी। जिसे उन्होंने अपनी प्रिय पत्नी कौशिल्या को दे दिया था। कौशिल्या ने अपने हिस्से का आधा खीर कैकेयी को दे दिया था। बाद में कौशिल्या एवं कैकेयी ने अपने हिस्से का आधा-आधा खीर तीसरी पत्नी सुमित्रा को दे दिया था। इस खीर के सेवन से चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशिल्या के कोख से भगवान राम का जन्म हुआ था। जबकि कैकेयी ने भरत को और सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया था।

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