अध्यात्म

Buddha Purnima 2023: बुद्ध पूर्णिमा 5 मई को, जाने भगवान बुद्ध से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण बातें

Buddha Purnima 2023 In Hindi
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Buddha Purnima 2023 In Hindi: 5 मई 2023 को बुद्धपूर्णिमा है। सनातन और बौद्ध धर्म में बुध पुर्णिमा का बड़ा महत्व बताया गया है। बौद्ध मठों में इस दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।

Buddha Purnima 2023 Significance In Hindi: भगवान बुद्ध के बारे में तो हर किसी को थोड़ा बहुत पता ही होगा। फिर भी जानकारी के लिए बता दें कि 5 मई 2023 को बुद्धपूर्णिमा है। सनातन और बौद्ध धर्म में बुध पुर्णिमा का बड़ा महत्व बताया गया है। बौद्ध मठों में इस दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। यह भारत ही नहीं विश्व के तमाम अन्य कई देशों में बुध पुर्णिमा धूमधाम से मनाई जाती है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान बुद्ध को सत्य का ज्ञान हुआ था। या यूं कहें कि सत्य की प्राप्ति हुई थी।

भगवान बुद्ध की जीवनी

कानपुर का जन्म नेपाल के कपिलवस्तु स्थित लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ था। इनका जन्म 563 ईसा पूर्व बताया गया है। भगवान बुद्ध के पिता का नाम सुबोधन और माता का नाम माया देवी था। इनके पिता शाक्य गण के राजा बताए गए हैं। भगवान बुद्ध की माता का निधन उनके 7 दिन की आयु में हो गया था उनका पालन पोषण उनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया।

बचपन से अध्यात्म में रूचि

भगवान बुद्ध के संबंध में बताया जाता है कि उनकी बचपन से ही आध्यात्मिक उचित है। बताते है कि धार्मिक आयोजनों में वह बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे। साथ ही भगवान के प्रति उनका अटूट प्रेम था। लेकिन इस प्रेम की सत्यता का ज्ञान उन्हे बाद में हुआ।

इन घटनाओं ने बनाया सन्यासी

कहते हैं कि भगवान बुद्ध को अपनी छोटी सी उम्र में ही भगवान को जानने की इच्छा हो गई। कहते हैं 29 साल की उम्र में भगवान बुध सन्यासी बन गए थे उन्होंने घर का त्याग कर ईश्वर और सत्य की खोज में निकल पड़े।

बताते हैं कि एक बार भगवान बुद्ध अपनी बगिया में टहल रहे थे। उसी समय उन्होंने एक असहाय वृद्ध को देखा। उसकी दशा को देखकर वह भगवान के प्रति चिंतित भाव से देखने लगे।

वही दूसरे दिन उन्हें अपने बगिया से शवयात्रा देखने को मिली। उन्होंने देखा एक मृतक को 4 लोग अपने कंधों पर लिए जा रहे हैं। पीछे उसके परिजन विलाप कर रहे हैं। यहीं पर भगवान बुध का माथा ठनका और वह चिंता में पड़ गए कि यह क्या हो रहा है।

सत्य की खोज में निकले बुध

भगवान बुध सत्य की खोज के लिए निकल पड़े उन्होंने गृहस्थाश्रम त्याग दिया। वह बोधगया पहुंचे और बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर 6 वर्ष तक कठिन तपस्या की। इस तपस्या के बाद उन्हें भगवान का साक्षात्कार हुआ सत्य का ज्ञान हुआ। उन्होंने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया। भगवान बुध का निधन 483 ईसा पूर्व बैसाख पूर्णिमा के दिन हुआ।

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