अध्यात्म

आखिर गंगा में क्यों विसर्जित की जाती है मृतक की अस्थियां, मोक्ष और वैज्ञानिक कारण भी है....

मृत्यु एक अटल सत्य हैं। जिसे कोई झुटला नही सकता। जिसका भी जन्म हुआ है उसे एक न एक दिन मृत्यु को वरण करना ही होता है। भारत में हर दिन लोगांे की मौत होती है लेकिन हर मरने वाले की जीवन में एक इच्छा अवश्य रहती है कि मरने के बाद उसकी अस्थियो को गंगा नदी में प्रवाहित किया जाय। ऐसे मंे एक सवाल उठता है कि क्या गंगा नदी में अस्थि विसर्जन करने से मोक्ष प्राप्त होता है। यह परंपरा कोई अंधविश्वास है या फिर इसके पीछे वैज्ञनिक कारण भी है।

मृत्यु एक अटल सत्य हैं। जिसे कोई झुटला नही सकता। जिसका भी जन्म हुआ है उसे एक न एक दिन मृत्यु को वरण करना ही होता है। भारत में हर दिन लोगांे की मौत होती है लेकिन हर मरने वाले की जीवन में एक इच्छा अवश्य रहती है कि मरने के बाद उसकी अस्थियो को गंगा नदी में प्रवाहित किया जाय। ऐसे मंे एक सवाल उठता है कि क्या गंगा नदी में अस्थि विसर्जन करने से मोक्ष प्राप्त होता है। यह परंपरा कोई अंधविश्वास है या फिर इसके पीछे वैज्ञनिक कारण भी है।

मिलता है मोक्ष

ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के बाद अगर मृतक की अस्थियों को गंगा नदी में प्रवाहित किया जता है तो मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। उसे भगवान का परमपद प्राप्त होता है। इसके लिए वेदों पुराणों में बताया गया है। लोग देवी मानकर गंगा नदी की पूजा अर्चना करते हैं।

क्या दूषित हो रहा गंगा का जल

भारत वर्ष की सबसे पवित्र नदियों में से एक गंगा नदी है। जिन्हे वेदों में देवी की माना गया है। लेकिन लोगों की मृत्यु हो जाती है और गंगा नदी में उनकी अस्थियां विसर्जित की जाती है। ऐसे में क्या गंगा नदी दूषित नही हो रही है। लेकिन वेदांे में गंगा को बताया गया है वह पतित पावनी हैं वह मोक्ष देने वाली हैं वह प्रदूषित नही हो सकती।

वेद का मत

पवित्र नदियांे में अस्थि विसर्जन के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है, वह भी वेद और विज्ञान से जुड़ा हुआ है। मानव का शरीर पांच भौतिक तत्वों से मिलकर बना हुआ है। दाह संस्कार करने से सभी तत्व वापस प्रकृति में पहुंच जाते हैं। लेकिन हड्डी बची रहती हैं। इसे नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है।

विज्ञान का मत

हड्डियों में फास्फेट की मात्रा अधिक होती है। फॉस्फेट कृषि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। फॉस्फेट मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है और फसल उत्पादकता स्तर को बढ़ाता है। यही कारण है कि मृत्यु के पश्चात अस्थियों को गंगा आदि पवित्र नदियों में प्रवाहित कर दिया जाता है।

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