अध्यात्म

Achman Vidhi: आचमन कैसे किया जाता है? आचमन करने की विधि? जानें,

Achman Vidhi: आचमन कैसे किया जाता है? आचमन करने की विधि?  जानें,
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Achman Karne Ki Vidhi : पूजा-पाठ में शुद्धि के लिए आचमन का बहुत ही महत्त्व है. आज हम आपको बताएँगे की सही तरीके से आचमन कैसे किया जाता है? और आचमन करने की सही विधि है? व आचमन करने में कौन से मंत्रो का उच्चारण करना चाहिए?

Aachman Kya Hota Hai? Aachman Kaise Karte Hain : सनातन धर्म में हवन और पूजा के दौरान कई क्रियाओं और विधि-विधानों का पालन किया जाता है. जिनमें से एक है आचमन या अचमनम। आचमन का शाब्दिक अर्थ होता है, ओक में जल लेकर पीना यह एक पूजन शुद्धि क्रिया है। यानि की पूजा, यज्ञ आदि आरम्भ करने से पूर्व शुद्धि के लिए मंत्र पढ़ते हुए जल पीना ही आचमन कहलाता है। हवन और पूजन से से पूर्व आचमन करके शुद्धि की जाती है, बिना आचमन के पूजा करना अधूरी पूजा कहलाती है।

आचमन के लिए सामग्री, आचमन कैसे बनता है?, आचमन कैसे बनाया जाता है?

Aachman Ke Liye Samagri, Aachaman Kaise Banaya Jata Hai? आचमन के लिए एक छोटा सा ताम्बे का कलश या लोटा लेकर उसमें गंगाजल या शुद्ध जल भरकर रख लें, उसके बाद उसमें तुलसी की कुछ पत्तियां डालें, और आचमन करने के लिए एक छोटी चम्मच भी रख लें।

आचमन करने की विधि? आचमन करने के लिए कौनसे मंत्र का उच्चारण करें?

Aachman Ke Liye Mantra, Aachman Karne Ki Vidhi: आचमन के दौरान मंत्रो का भी उच्चारण किया जाता है. आचमन के दौरान पुरोहित 'ॐ केशवाय नम: ॐ नाराणाय नम: ॐ माधवाय नम: ॐ ह्रषीकेशाय नम:' का मंत्रोच्चारण करते हैं. या पुरोहित न होने की स्थिति में स्वयं इन मन्त्रों का उच्चारण करते हुए तीन बार आचमन किया जाता है। और उसके बाद माथे और कान को छू कर भगवान को प्रणाम करें।

आचमन करने की दिशा

Aachman Karne Ki Disha, Puja Karne Ki Disha : हमेशा पूजा या आचमन करने के लिए मुख की दिशा पूर्व दिशा, उत्तर दिशा या ईशान कोण में होना चाहिए। अतः हमेशा सही दिशा में बैठकर हवन- यज्ञ, पूजा और आचमन करना चाहिए।

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