अध्यात्म

साड़ी पहनकर मंदिर पहुंचे 13 पुरूष, की मां जगधात्री की पूजा, जाने पुरूषों के साड़ी पहनने का कारण

Sandeep Tiwari | रीवा रियासत
16 Nov 2021 11:00 PM IST
Updated: 2021-11-16 17:30:09
साड़ी पहनकर मंदिर पहुंचे 13 पुरूष, की मां जगधात्री की पूजा, जाने पुरूषों के साड़ी पहनने का कारण
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पश्चिम बंगाल के हुगली में 13 पुरूष मां जगधात्री (Maa Jagatdhatri) की पूजा करने पहुंचे। यह सुनने में कुछ अटपटा सा लगता है लेकिन यह बात सत्य है।

पश्चिम बंगाल के हुगली में 13 पुरूष मां जगधात्री (Maa Jagatdhatri) की पूजा करने पहुंचे। यह सुनने में कुछ अटपटा सा लगता है लेकिन यह बात सत्य है।लेकिन अगर यह बात सत्य ही है तो ऐसे में मन में कई तरह के सवाल भी पैदा होते हैं। यह 250 वर्ष पूर्व की परंपरा का निर्वहन करते हुए पश्चिम बंगाल के हुगली में 13 पुरूष मां जगधात्री (Maa Jagatdhatri) की पूजा करने पहुंचे। यह बहुत ही फलदाई पूजा में से एक है। पुरूषों को इस भेष में पूजा करते ऐसा कम ही देखने को मिलता है। लेकिन पश्चिम बंगाल में सदियों से चली आ रही है इस परंपरा का आज भी उसी श्रद्धा भाव के साथ लोगों द्वारा निर्वहन किया जा रहा है।

क्या है पूजा विधि

पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के चंदन नगर में रविवार के दिन 13 पुरुष जगधात्री पूजा के लिए तैयार हुए। बताया जाता है माता की पूजा खास तौर पर महिलाओं द्वारा की जाती है। लेकिन करीब 229 वर्ष पहले यह पूजा पुरुषों द्वारा महिलाओं का वस्त्र धारण कर की जाने लगी। इस दिन पुरुष महिलाओं के वस्त्र धारण कर सिंदूर, प्रसाद और पान लेकर मां जगधात्री की पूजा की गई।

ऐसे शुरू हुई परंपरा

मां जगधात्री पूजा कमेटी के संरक्षक श्रीकांत मंडल ने इस परंपरा के संबंध में बताया कि आज से 229 वर्ष पहले अंग्रेजों का इस क्षेत्र में भारी आतंक था। जिससे महिलाएं शाम ढलने के बाद घर से बाहर नहीं निकलती थी। इसी डर की वजह से मां जगधात्री की पूजा करने का जिम्मा पुरुषों ने लेते हुए महिलाओं के वस्त्र धारण कर लिया।

बताया जाता है की माता ने पुरुषों के इस भेष में पूजा करने को स्वीकार भी कर लिया। क्षेत्र की संपन्नता दिनों दिन बढ़ती गई। लोगों की मन्नतें पूरी होने लगी और यह प्रथा के रूप में परिणित हो गया। आज भी इस प्रथा को लोग बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ स्वीकार कर रहे हैं।

एक मत ऐसा भी

पूजा कमेटी के संचालक बताते हैं कि ढाई सौ वर्ष पहले बंगाल के राजा कृष्णचंद्र दीवान दाताराम सूर की बेटी का घर चंदननगर गौरहाटी में था । मां जगधात्री की आराधना बड़े ही विधि विधान से की जाती थी। लेकिन बीच में आर्थिक तंगी तथा और भी कई परेशानियों की वजह से उनकी बेटी ने पूजा को बंद कर दिया। वही इस पूजा का दायित्व राजा की बेटी ने इलाके के लोगों को सौप दिया।

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