सिंगरौली

एमपी के सिंगरौली में शिक्षक को सीएम हेल्प लाइन में शिकायत करना पड़ा भारी, जांच में खुद मिले दोषी तो हुए निलंबित

Sanjay Patel
31 May 2023 8:47 AM GMT
एमपी के सिंगरौली में शिक्षक को सीएम हेल्प लाइन में शिकायत करना पड़ा भारी, जांच में खुद मिले दोषी तो हुए निलंबित
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MP News: मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में एक शिक्षक को सीएम हेल्प लाइन में शिक्षा विभाग के खिलाफ शिकायत करना भारी पड़ गया। जब मामले की जांच हुई तो शिक्षक को ही दोषी करार दे दिया गया।

मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में एक शिक्षक को सीएम हेल्प लाइन में शिक्षा विभाग के खिलाफ शिकायत करना भारी पड़ गया। उनके द्वारा इस आशय की शिकायत की गई कि बोर्ड परीक्षा ड्यूटी के बदले उन्हें मानदेय नहीं दिया गया। जब मामले की जांच हुई तो शिक्षक को ही दोषी करार दे दिया गया। जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया है।

यह है मामला

सिंगरौली जिला अंतर्गत शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करैला में पदस्थ सरकारी शिक्षक ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह वैश्य द्वारा सीएम हेल्प लाइन में शिकायत की गई थी। जिसमें उन्होंने कहा कि माध्यमिक शिक्षा मंडल की बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी की। जिसका मानदेय तीन हजार रुपए बन रहा है। किंतु मानदेय का भुगतान शिक्षा अधिकारी द्वारा नहीं किया जा रहा है। शिक्षक द्वारा सीएम हेल्प लाइन में की गई शिकायत मामले की संयुक्त संचालक द्वारा जांच कराई गई। जिसमें शिक्षक को दोषी करार देते हुए कार्रवाई की गई।

संयुक्त संचालक ने किया निलंबित

सीएम हेल्प लाइन में जांच के बाद शिक्षक खुद दोषी पाए गए। जिसके बाद संयुक्त संचालक ने उन्हें निलंबित कर दिया। संयुक्त संचालक द्वारा आदेश में कहा गया है कि केन्द्राध्यक्ष शासकीय उमावि करैला का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा मंडल मप्र भोपाल के आदेशानुसार परीक्षा केन्द्र की शाला में कार्यरत कोई भी शिक्षक मंडल के परीक्षा कार्य व पर्यवेक्षक की ड्यूटी में नहीं रहेगा। न ही परीक्षार्थियों के सगे संबंधियों की केन्द्र में ड्यूटी लगाई जाएगी। इसके विपरीत माध्यमिक शिक्षक ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह ने जान बूझकर परीक्षा की गोपनीयता भंग कराने एवं अराजकता फैलाने की दृष्टि से परीक्षा कार्य में लिपिक के पद पर सम्मिलित होकर कार्य किया। जबकि एक मार्च को ही उनकी ड्यूटी निरस्त कर उन्हें परीक्षा कार्य से मुक्त कर दिया गया था। जिससे उन्हें मानदेय देने का कोई औचित्य नहीं है। आदेश में कहा गया कि केन्द्राध्यक्ष का कथन और तथ्य प्रस्तुत किए जाने के बाद शिक्षक पर निलंबन की कार्रवाई कर उन्हें विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से सम्बद्ध किया गया है।

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