सीधी

करोड़ों खर्च के बाद भी एक बूंद जल संरक्षण नहीं हुआ, गर्मी आते ही संकट

News Desk
17 March 2021 9:47 AM GMT
करोड़ों खर्च के बाद भी एक बूंद जल संरक्षण नहीं हुआ, गर्मी आते ही संकट
x
सीधी। गर्मी आते ही जल संकट की समस्या सताने लगती है। सरकार ने जल संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर डाले लेकिन पानी के एक बूंद का संरक्षण नहीं हो सका है। जिले में जल संरक्षण योजना अधिकारियों-कर्मचारियों के सिर्फ दुधारू गाय बनकर रह गई है। जबकि सरकार की योजना का उद्देश्य था कि जिन क्षेत्रों में गर्मी के दिनों में पानी की समस्या होती है वहां बोरी बंधान के माध्यम से पानी रोका जायेगा। जिससे जल स्तर बढ़ेगा। वाटर शेड योजना के तहत कराए गए कार्यो का कोई मतलब नहीं निकल पाया है सिर्फ सरकार के पैसों की बर्बादी हुई है। पानी का संरक्षण कहीं भी एक बूंद नहीं हो पाया है। प्रदेश सरकार ने जल संरक्षण के लिये कई योजनाएं संचालित की हैं। जिनमें नदी पुनर्जीवन योजना, वाटर शेड, माइक्रो प्लान सहित योजनाएं शामिल हैं।

सीधी। गर्मी आते ही जल संकट की समस्या सताने लगती है। सरकार ने जल संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर डाले लेकिन पानी के एक बूंद का संरक्षण नहीं हो सका है। जिले में जल संरक्षण योजना अधिकारियों-कर्मचारियों के सिर्फ दुधारू गाय बनकर रह गई है। जबकि सरकार की योजना का उद्देश्य था कि जिन क्षेत्रों में गर्मी के दिनों में पानी की समस्या होती है वहां बोरी बंधान के माध्यम से पानी रोका जायेगा। जिससे जल स्तर बढ़ेगा। वाटर शेड योजना के तहत कराए गए कार्यो का कोई मतलब नहीं निकल पाया है सिर्फ सरकार के पैसों की बर्बादी हुई है। पानी का संरक्षण कहीं भी एक बूंद नहीं हो पाया है। प्रदेश सरकार ने जल संरक्षण के लिये कई योजनाएं संचालित की हैं। जिनमें नदी पुनर्जीवन योजना, वाटर शेड, माइक्रो प्लान सहित योजनाएं शामिल हैं।

सीधी जिले में योजना के तहत काम भी कराए गए लेकिन पानी की एक बूंद का संरक्षण नहीं हुआ है। लोगों को हर वर्ष पानी की समस्या से जूझना पड़ता है। जबकि जल संरक्षण के लिये सरकार ने पानी की तरह पैसे बहाए लेकिन सार्थक काम नहीं हो सका। गांवों में जल संकट की समस्या अभी से उत्पन्न होने लगी है। जल स्तर लगातार तेजी से गिरता जा रहा है।

करोड़ों खर्च के बाद भी अधूरे कार्य

आईडब्ल्यूएमपी योजना के अंतर्गत जिले में 6 परियोजनाएं बनाई गई। जिनमें करीब पौने दो करोड़ की राशि खर्च कर दी गई लेकिन अभी कार्य अधूरा पड़ा है। विभागीय सूत्रों ने बताया है कि अधूरे पड़े निर्माण कार्यो की राशि भी हजम कर ली गई है। बताया गया है कि आईडब्ल्यूएमपी योजना अंतर्गत करीब 255 निर्माण कार्य स्वीकृत किये गये थे जिनमें मोघा बांध, रपटा, डेवरी सहित कार्य शामिल हैं लेकिन निर्माण आज भी अधूरे पड़े हैं जबकि राशि हजम कर ली गई।

Next Story