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विंध्य में गिरी AJAY SINGH 'RAHUL' की साख, JYOTIRADITY SINDHIA के इस्तीफे से ये हुआ महाकौशल और विंध्य पर असर

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:14 AM GMT
विंध्य में गिरी AJAY SINGH RAHUL की साख, JYOTIRADITY SINDHIA के इस्तीफे से ये हुआ महाकौशल और विंध्य पर असर
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जबलपुर। MP Govt Crisis महाकोशल व विंध्य क्षेत्र की राजनीति पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफे का कोई असर नहीं पड़ेगा। महाकोशल में कमलनाथ का दबदबा रहा है। यहां की विधानसभा की टिकट भी उनकी मर्जी से तय होता है। वैसे ही विंध्य में अजय सिंह 'राहुल की मर्जी चलती है, टिकट वितरण में उनका दखल होता है। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव परिणाम से अजय सिंह की साख गिरी है, लेकिन सिंधिया का दोनों ही क्षेत्रों में दखल नहीं रहा।

बढ़ा कमलनाथ का वर्चस्व

महाकोशल क्षेत्र की कुल 38 सीट पर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 23 सीट, भाजपा को 14 व एक सीट निर्दलीय को मिली। इनमें सभी प्रत्याशी कमलनाथ गुट के थे। विंध्य की 30 सीट में से कांग्रेस को केवल 6 सीट मिली व भाजपा को 24 सीट मिलीं। इससे यहां अजय सिंह का कद घटा वहीं कमलनाथ का कद बढ़ा।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने केवल एक प्रत्याशी सत्येंद्र यादव के लिए जबलपुर ग्रामीण की पनागर विधानसभा क्षेत्र से टिकट मांगी थी लेकिन वह टिकट कमलनाथ ने अपने समर्थक सम्मति सैनी को दी। इससे सिंधिया ने उस दौरान अपनी नाराजगी जताई थी। हालांकि सम्मति सैनी चुनाव बुरी तरह हारे और तीसरे पायदान पर पहुंचे।

समर्थकों में असमंजस-

ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों में असमंजस बना हुआ है। सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष सत्येंद्र यादव ने सिंधिया के इस्तीफे के साथ ही खुद भी इस्तीफा दे दिया था। लेकिन बाद में वापस ले लिया। इसके पीछे सत्येंद्र यादव ने कारण बताया कि सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई से चर्चा के बाद उन्होंने इस्तीफा वापस लिया है। वहीं मंगलवार को जबलपुर में सिंधिया समर्थक अरविंद पाठक ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। वे शहर कांग्रेस में महामंत्री थे लेकिन वे असमंजस की स्थिति में हैं कि अब भाजपा ज्वाइन करें कि नहीं।

सरकार बदली तो भी कम नहीं होगा जबलपुर का पावर

जबलपुर । जबलपुर प्रदेश की राजनीति में मची उथल-पुथल में से सरकार के तख्तापलट होने की संभावना प्रबल हो गई है। इससे जबलपुर के हिस्से में क्या आएगा, इसे लेकर लोगों में संशय बना हुआ है अटकलें लगाई जा रही हैं कि सरकार बदली तो भी जबलपुर को मंत्री पद मिलना तय है। मौजूदा कमलनाथ मंत्रिमंडल में लखन घनघोरिया, तरुण भनोत दोनों कैबिनेट मंत्री हैं।

जबलपुर से फिलहाल मंत्री पद की दौड़ में तीन विधायकों के नाम हैं इसमें सबसे पहला नाम पांच बार के विधायक रहे अजय विश्नोई है पहले भी यह भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं राजनीतिक अनुभव के आधार पर इन्हें मंत्री पद से नवाजा जा सकता है, वहीं स्व. ईश्वर दास रोहाणी के बेटे कैंट विधायक अशोक रोहाणी भी मंत्री पद के लिए दावेदारी कर सकते हैं।

सिंधी समाज से प्रदेश में वो इकलौते विधायक हैं तीसरा नाम पनागर विधायक सुशील तिवारी 'इंदु का है अपने क्षेत्र में ऐतिहासिक मतों से जीत दर्ज कराने वाले इंदु तिवारी की संघ में मजबूत पकड़ है। वे शिवराज सिंह चौहान गुट के माने जाते हैं राजनीतिक समीक्षकों को उम्मीद है कि पिछले कुछ सालों से जिस तरह जबलपुर को प्रदेश की राजनीति में तवज्जो दी जा रही है उस लिहाज से जबलपुर से मंत्री पद मिलना तय है।

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