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मेरी मां वृद्ध हैं, लावारिस नहीं, इसे तमाशा न बनाएं : नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह 'राहुल'

भोपाल। स्व. अर्जुन सिंह की पत्नी द्वारा अपने बेटों पर लगाए गए घरेलू हिंसा के आरोपों के बाद नेता प्रतिपक्ष ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि मामले का तमाशा न बनाया जाय।
बता दें नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की मां ने अपने दोनो बेटों पर यह आरोप लगाते हुए न्याय के लिए अदालत की शरण ली है कि उनके दोनो बेटे उन्हें प्रताड़ित कर रहें हैं। जब से श्री सिंह के ऊपर घरेलू हिंसा के आरोप लगे हैं, राजनीतिक गलियारों में यह एक मुद्दा बन गया है। सत्तापक्ष मामले को चुनावी हथियार बनाने में तुली है, वहीं कांग्रेस पार्टी के नेता ने अजय सिंह राहुल से इस्तीफे की मांग कर डाली है। मामले पर नेता प्रतिपक्ष ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि यह दुःखद है एवं किसी भी परिवार के लिए अत्यंत दर्दनाक भी है, जब घरेलू विवादों को चौराहे पर घसीटा जाय। खासकर तब जब पूरा तमाशा इरादतन राजनीतिक हो।
श्री सिंह ने कहा कि उनकी मां निश्चित ही वृद्ध हैं पर लावारिश नहीं, क्योंकि उनके दो बेटे हैं। उन्होने कहा कि उनके पूज्यनीय पिता के स्वर्गवास के बाद कई सालों तक उन्होने माताजी को भोपाल लाने के प्रयास और अनुरोध किया, पर वे असफल रहें। उन्होने बताया कोई ऐसी शक्ति थी जो उन्हें हमसे ज्यादा प्रभावित और संचालित कर रही थी, दुर्भाग्यवश वह उनके ही परिवार की सदस्य हैं।
श्री सिंह ने कहा कि वर्तमान हालातों में मां हमारी बहन श्रीमती वीना सिंह के बगैर कहीं और रहना नहीं चाहती और बहन हमारे साथ इसलिए रहना नहीं चाहती क्योंकि राजनीतिक कारणों से हमारे उनके रिश्ते कई वर्षों से सामान्य नहीं हैं। इतने सबके बावजूद भी उनसे मिलने एवं संबल बनने की हमेशा कोशिश कर रहा हूं। उनके द्वारा न तो हमसे बात करना उचित समझा गया और न ही इस दुविधा को सुलझाने में कोई रूचि दिखाई गई।
श्री सिंह ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि उनके जेहन में उनके पिता की गौरवशाली और प्रतिष्ठित छवि है इसलिए वे पारिवारिक विषयों पर उनके मान, प्रतिष्ठा एवं छवि को हमेशा ध्यान रखेंगे।
श्री सिंह ने बताया कि पूरा मामला अब कोर्ट में है, इसलिए इतना ही कहना चाहता हूं कि मुझ पर लगाए गए आरोंपों से मैं अत्यंत दुखी एवं व्यथित हूं, मेरी मां ने किसी के बहकावे में आकर जो कुछ भी कहा वह सरासर झूंठा एवं असत्य है। वक्त इंसाफ देगा।
उन्होने प्रेस के माध्यम से अपनी मां को संदेश भी दिया है कि वे उनसे स्वतंत्र हो जावें, जिन्होने उन्हें भावात्मक रूप से अपने वश में कर रखा है। उन्होने कहा है कि मामले को अदालत या सार्वजनिक चर्चा का मुद्दा बनाने के बजाय साथ बैठकर समस्याओं का समाधान करें।
