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कांग्रेस के लिए नहीं आसान सीधी की सीट, वही रीवा में इनकी भूमिका होगी अहम्

भोपाल : विंध्य में कांग्रेस-भाजपा के सामने सबसे ज्यादा चुनौतियां हैं। इलाके की चारों लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाए बैठी भाजपा के लिए सीट बचाने की चुनौती है, तो कांग्रेस के सामने विधानसभा चुनाव में हार का कलंक मिटाने का मौका है। नेताओं की नाराजगी से भाजपा परेशान है।
सीधी में पूर्व सांसद गोविंद मिश्रा तो शहडोल में मौजूदा सांसद ज्ञान सिंह की नाराजगी ने भाजपा की राह में कांटे बो दिए हैं। वहीं कांग्रेस विधानसभा चुनाव में हुए सूपड़ा साफ के सदमें से बाहर आने की कोशिश कर रही है। पिछली बार सतना से आठ हजार वोटों से हारे अजय सिंह को सीधी से उतारा गया है, तो सतना से तीन बार के सांसद के सामने बसपा से आए राजाराम त्रिपाठी हैं।
- सीधी में टेढ़ा मुकाबला : सीधी में मौजूदा सांसद भाजपा की रीति पाठक और कांग्रेस के अजय सिंह के बीच मुकाबला है। रीति को विरोधी से ज्यादा अपनों से मुकाबला करना है। स्थानीय को टिकट न देने से सिंगरौली जिले के लोग नाराज हैं। पूर्व सांसद गोविंद मिश्रा ने मुखालफत का झंडा उठा लिया है, विधायक केदारनाथ शुक्ला पहले से ही नाराज हैं। वहीं अजय सिंह के सामने विधानसभा चुनाव की हार का कलंक मिटाना सबसे ज्यादा जरुरी है। चुरहट की हार ने उनको राजनीति में पीछे ढकेल दिया है। सतना की जगह सीधी से टिकट मिलने से भी अजय सिंह की राह में मुश्किल पैदा हुई है।
- शहडोल में डोलती सियासत : शहडोल में दो महिला नेताओं के बीच मुकाबला है। भाजपा की हिमाद्री सिंह को टिकट मिलने से रुठे मौजूदा सांसद ज्ञान मानने को तैयार नहीं। पिछले उचुनाव में उनको लोकसभा का टिकट नहीं चाहिए था लेकिन भाजपा ने प्रतिष्ठा बचाने थमा दिया अब जबकि उनको टिकट चाहिए तो हिमाद्री को दे दिया। ज्ञान सिंह की नाराजगी से शहडोल में भाजपा का सिंहासन डोलने लगा है। वहीं कांग्रेस की प्रमिला सिंह के लिए स्थानीय कांग्रेस विधायकों का समर्थन हासिल करना जरुरी है। प्रमिला सिंह भाजपा से कांग्रेस में आई हैं लिहाजा उनके लिए ये राह आसान नहीं है।
सतना की सत्ता को चुनौती : सतना में लगातार तीन बार से चुनाव जीत रहे सांसद गणेश सिंह की सत्ता को इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है। पिछले चुनाव में वे कांग्रेस के अजय सिंह से कुछ ही वोटों से हारे थे जबकि चुनाव में मोदी लहर थी। गणेश को अपनी एंटी इन्कमबेंसी से निपटना है। वहीं कांग्रेस पैराशूट उम्मीदवार राजाराम त्रिपाठी के सहारे जीत की बाट जोह रही है। विंध्य में ठाकुर-ब्राह्मण फॉर्मूले के तहत त्रिपाठी को उतारा गया है। त्रिपाठी के लिए सतना में कई बड़ी और कड़ी चुनौतियां हैं जिनसे पार पाए बिना जीत मुमकिन नहीं है।
रीवा की राह में रोड़े : कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए रीवा जीत की राह में रोड़े हैं। यहां पर दो ब्राह्मण उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है। भाजपा के मौजूदा सांसद जनार्दन मिश्रा और कांग्रेस के युवा नेता सिद्धार्थ तिवारी दोनों की कोशिश ब्राह्मण वोटों के सहारे जीत की है। बेहतर रिपोर्ट कार्ड न होने के बाद भी भाजपा ने जनार्दन मिश्रा पर भरोसा किया है। वहीं कांग्रेस ने जनसंवेदना के सहारे जीत के लिए पूर्व विधायक सुंदरलाल तिवारी के पुत्र सिद्धार्थ को उम्मीदवार बनाया है। फिलहाल कांग्रेस में शामिल रीवा रियासत के पुष्पराज सिंह की भूमिका भी यहां पर महत्वपूर्ण है। वे भी यहां से टिकट मांग रहे थे।