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रीवा किला परिसर में अनादिकाल से मौजूद है 'दुनिया का इकलौता महामृत्युंजय मंदिर'

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 5:58 AM GMT
रीवा किला परिसर में अनादिकाल से मौजूद है दुनिया का इकलौता महामृत्युंजय मंदिर
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रीवा। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसकी बनावट अन्य शिवलिंगों से बिल्कुल अलग है। 1001 छिद्र वाला यह शिवलिंग विश्व में किसी अन्यत्र मंदिर में देखने को नहीं मिलेगा। यहां भगवान महामृत्युजंय के जाप से सभी मनोकामना पूरी होती है। इसी मान्यता के चलते श्रद्धालु दूर-दूर से महामृत्युंजय भगवान के दर्शन के लिए यहां दौड़े चले आते हैं।

शिव पुराण में मिलता है सफेद शिवलिंग का उल्लेख: कहा जाता है कि महामृत्युजंय मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है और अल्प आयु दीर्घ आयु मे बदल जाती है। महामृत्युंजय मंत्र के जाप से सुख संपत्ति धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में भगवान शिव के रूप में महामृत्युंजय भगवान की अलौकिक शक्ति वाला सफेद शिवलिंग है।

महामृत्युजंय मंदिर के निर्माण और मूर्ति स्थापना का कोई लिखित इतिहास नहीं है, लेकिन महामृत्युंजय मंत्र का शिव पुराण में उल्लेख मिलता है।

महादेव ने सिर्फ पार्वती को बताया था इस मंत्र का रहस्य : शिव पुराण के अनुसार देवाधिदेव महादेव ने महा संजीवनी महामृत्युजंय मंत्र की उत्पत्ति की थी। महादेव ने इस मंत्र का गुप्त रहस्य केवल माता पार्वती को बताया था। महामृत्युजंय के दर्शन और मंत्र के जाप से अनेक तरह के कष्टों से छुटकारा मिलता है। इस मंदिर की शक्ति के आगे यमराज भी हार मान लेते है।

महामृत्युंजय की आलौकिक शक्ति के कारण हुई थी रीवा रियासत की स्थापना : रियासत के वर्तमान महाराजा पुष्पराज सिंह ने बताया कि रीवा रियासत की स्थापना महामृत्युंजय की आलौकिक शक्ति को भाप कर ही हुई थी। रियासत के महाराज पुष्पराज सिंह की माने तो महाराज बांधवगढ से शिकार के लिए यहां आए थे। उस वक्त महाराज ने जो देखा वह आश्चर्य चकित करने वाला था। महाराज ने देखा की एक शेर को चीतल खदेड़ है चीतल जब मंदिर से दूर होता, तो शेर उसके पीछे दौड़ने लगता था। लेकिन, जब वह मंदिर के पास पहुंच जाता तो शेर भाग खड़ा होता। तभी, महाराज के मन में यहां पर रियासत का किला बनाने का ख्याल आया और 400 से अधिक वर्षों से यह किला यहां पर मौजूद है।

एक कहानी यह भी प्रचलित है: एक किवदंती यह भी है कि इस मार्ग से कुछ भाट निकल रहे थे और रात्रि के वक्त यहां रुक गए उनके पास यह शिवलिंग था। लेकिन, रात्रि में भाट के मुखिया को शिवलिंग यही छोड़ने का सपना आया और भाट शिवलिंग छोड़कर चले गए।

महामृत्युजंय मंत्र पढ़ने और सुनने से मिलता है लाभ: महाराज मार्तण्ड सिंह जू देव ट्रस्ट की सीईओ अलका तिवारी कहती है कि यहां पर ऐसे कई प्रमाण मिले है लोग रोते हुए आते है और मनोकामना पूरी होने के बाद हस्ते हुए यहां से जाते है। महामृत्युजंय भगवान के रूद्राभिषेक, रूद्र-यज्ञ, भजन पूजन से राजभय विद्रोह महामारी रोग व्याधि और असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है। इसके कई उदाहरण देखने को मिलते हैं।

महामृत्युजंय को 12 ज्योर्तिलिंगो से कम नहीं आंका जा सकता है क्योंकि महामृत्युजंय मंत्र पढ़ने और सुनने से अकाल मृत्यु टल जाती है और मृत्यु भय नहीं रहता।

Aaryan Dwivedi

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