सतना

सतना में भारी पड़ा जातिगण समीकरण, कांग्रेस के राजाराम त्रिपाठी को टिकट मिलने से भाजपा को हो सकता है नुकसान, ब्राह्मणों का वोट होगा निर्णायक....

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 11:36 AM IST
सतना में भारी पड़ा जातिगण समीकरण, कांग्रेस के राजाराम त्रिपाठी को टिकट मिलने से भाजपा को हो सकता है नुकसान, ब्राह्मणों का वोट होगा निर्णायक....
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भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में सत्ता की कमान कांग्रेस को 15 साल बाद नसीब हुई. लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव में सतना (Satna) संसदीय सीट बीजेपी (BJP) के हाथों से छिनना कांग्रेस (Congress) के लिए बहुत आसान नहीं होगा. दरअसल रीवा संभाग के अंतर्गत आने वाला सतना लोकसभा क्षेत्र पिछले 20 सालों से बीजेपी के कब्जे में है. यहां कांग्रेस से आखिरी बार साल 1991 में अर्जुन सिंह जीते थे. जबकि साल 1998 से हुए तीन लोकसभा चुनावों में बीजेपी को जीत हासिल हुई.

बीजेपी ने गणेश सिंह को फिर से सतना निर्वाचन क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने भी जातीय समीकरण को समझते हुए राजाराम त्रिपाठी को मैदान में उतारा है. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के अच्छे लाल कुशवाहा लड़ाई को त्रिकोणीय बना रहे हैं. दरअसल सतना लोकसभा में सबसे ज्यादा ब्राह्मणों की आबादी है. उसके बाद दूसरा नंबर क्षत्रिय फिर पटेल और वैश्य समाज का आता है. जबकि अनुसूचित जन जाति की संख्या कम है.

सतना का 2014 में हाल-

प्रहलाद सिंह पटेल (बीजेपी)- 5 लाख 13 हजार 79 वोट

गणेश सिंह (बीजेपी)- 3 लाख 75 हजार 288 वोट

अजय सिंह (कांग्रेस)- 3 लाख 66 हजार 600

धर्मेंद्र सिंह तिवारी (बीएसपी)- 1 लाख 24 हजार 602 वोट

गौरतलब हो कि बीजेपी के लिए इस बार राह इतनी आसान नहीं है. लोकसभा चुनाव में इस बार बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश में अपनी सभी 27 सीटों को बचाना बड़ी चुनौती होगा. क्योंकि नवंबर 2018 में प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता पर 15 साल से काबिज बीजेपी को पटकनी देकर सरकार बनाई थी. निर्वाचन आयोग द्वारा सार्वजनिक किए गए आंकड़े बताते हैं कि इस चुनाव में 12 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को बीजेपी प्रत्याशियों से अधिक मत मिले थे. वहीं पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी को 41.08 प्रतिशत तो वहीं कांग्रेस को 40.13 फीसदी वोट मिले. जबकि बीएसपी को 13.64 फीसदी के पक्ष में वोटिंग हुई.

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