सतना

विंध्य की बेटी ने पाया वो मुकाम जिसके लिये किया था प्रयास, कहां प्रयोगिक परीक्षा पर हो फोकस

Aaryan Dwivedi
27 Feb 2021 8:09 PM GMT
विंध्य की बेटी ने पाया वो मुकाम जिसके लिये किया था प्रयास, कहां प्रयोगिक परीक्षा पर हो फोकस
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सतना। विंध्य की बेटी तथा सतना निवासी आकांक्षा गुप्ता ने सीएस की परीक्षा पास करके अपना मुकाम हासिल कर लिया। उसका कहना था कि कैट को छोड़कर वह सीएस की तैयारी की और पहले प्रयास में ही इस परीक्षा का पास किया है। आकांक्षा के मुताबिक द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के एक्जीक्यूटिव प्रोग्राम के न्यू सिलेबस में उसने एयर-1 हासिल किया है।

सतना। विंध्य की बेटी तथा सतना निवासी आकांक्षा गुप्ता ने सीएस की परीक्षा पास करके अपना मुकाम हासिल कर लिया। उसका कहना था कि कैट को छोड़कर वह सीएस की तैयारी की और पहले प्रयास में ही इस परीक्षा का पास किया है। आकांक्षा के मुताबिक द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के एक्जीक्यूटिव प्रोग्राम के न्यू सिलेबस में उसने एयर-1 हासिल किया है।

बेटी आकांक्षा गुप्ता का मानना है, एजुकेशन सिस्टम में बदलाव की जरूरत है। वर्तमान में थ्योरी पर फोकस ज्यादा है, जबकि प्रैक्टिकल पोर्शन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।’ आकांक्षा के मुताबिक साथ ही, स्कॉलरशिप के प्रावधान भी सरल करना चाहिए, क्योंकि कई बच्चे ऐसे भी होते हैं, जिनमें काबिलियत तो है, लेकिन आर्थिक तौर पर सक्षम नहीं होते, इसलिए आगे नहीं बढ़ पाते। उन्हें सही मार्गदर्शन और मदद मिले, तो वे भी मुकाम हासिल कर सकते हैं।

खुशी में रात भर जगी

आकांक्षा बताती है कि गुरुवार को जब रिजल्ट आया। एयर-1 के बारे में सुना, तो अगले 15 मिनट तक तो मुंह से कुछ शब्द ही नहीं निकले। रात भर नींद भी नही आई। अपनी इस उपलब्धि के लिये माता-पिता और शिक्षकों को श्रेय दिया है।

स्टेशनरी की है छोटी सी दुकान

आकांक्षा के पिता गणेश प्रसाद गुप्ता कृष्णनगर में स्टेशनरी की छोटी सी दुकान चलाते हैं। वह शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रहीं और दसवीं में वह जिले में टॉपर थीं। हायर सेकंडरी के बाद बीकॉम में राजीव गांधी कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन फोकस प्रतियोगी परीक्षा पर रहा। आकांक्षा ने कैट क्वालीफाई किया। इसमें 1950 वीं रैंक थी, लेकिन उसका लक्ष्य यह नहीं था, इसलिए सीए की तैयारी शुरू की। पहले ही प्रयास में फाउंडेशन में एयर- 25 आई।

ऑनलाइन को भी पढ़ाई में किया शामिल

आकांक्षा का कहना है कि उसने सेल्फ स्टडीज पर फोकस किया। पढ़ाई हिंदी मीडियम की थी, लेकिन अंग्रेजी के बिना राह आसान नहीं हो सकती थी। लिहाजा, अंग्रेजी सुधारने के लिए भी प्रयास किए। यूट्यूब का सहारा लिया। वेब सीरीज देखी और अंग्रेजी के अखबार- मैगजीन पढ़े। आकांक्षा ने बताया, जब वह कोचिंग पहुंची, तो वहां अंग्रेजी मीडियम के स्टूडेंट्स के बीच एकबारगी असहजता तो महसूस हुई, लेकिन आत्मविश्वास के बूते इस मुश्किल को भी हल कर लिया।

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