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सतना जमीन घोटाला: शिवराज सरकार का भ्रष्ट कलेक्टर, मोहन यादव गवर्नमेंट में दोषमुक्त कैसे हुआ? रीवा कमिश्नर की जांच रिपोर्ट में दोषी बताया गया था!

- 5 साल पुराना 40 एकड़ जमीन घोटाला केस नई सरकार में पलट गया।
- शिवराज सरकार में आरोप पत्र झेलने वाले IAS अजय कटेसरिया को अब मोहन यादव सरकार में मिली क्लीन चिट।
- एक ही कमिश्नर कार्यालय की दो रिपोर्टों में विरोधाभास, अब कई सवाल उठे।
रीवा/सतना. मध्य प्रदेश में सरकार बदलते ही अफसरों के सुर और पूरी जांच प्रक्रिया किस तरह बदल सकती है — इसका ताज़ा उदाहरण सतना के 40 एकड़ के कथित जमीन घोटाले से सामने आया है। जिस अफसर को शिवराज सिंह चौहान की सरकार में “पहली नजर में दोषी” मानकर आरोप पत्र थमा दिया गया था, उसी IAS अधिकारी को नवगठित सरकार ने दोषमुक्त घोषित कर दिया।
यह मामला 2012 बैच के IAS अजय कटेसरिया से जुड़ा है, जो फरवरी 2020 से दिसंबर 2021 तक सतना के कलेक्टर रहे। उन पर आरोप था कि उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर सरकारी जमीनों को निजी लोगों के नाम कर दिया। यह मामला शुरुआत से ही हाई-प्रोफाइल था — जमीनें बेशकीमती थीं, राजनीतिक दखल की चर्चाएँ थीं, और रिपोर्टें परस्पर विरोधी।
जिन्हें जांच रिपोर्ट ने दोषी पाया था, अब वही रिपोर्ट क्लीन चिट दे रही है
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस रीवा कमिश्नर की शुरुआती रिपोर्ट ने कटेसरिया को दोषी ठहराया था, उसी कमिश्नर कार्यालय ने बाद की समीक्षा में उन्हें निर्दोष बताया। सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने इसी नई रिपोर्ट के आधार पर 7 नवंबर 2025 को उन्हें सभी आरोपों से बरी करने का आदेश जारी कर दिया।
इस उलटफेर ने प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर क्या ऐसा हुआ कि कुछ ही महीनों में जांच का पूरा रुख बदल गया?
आरोप क्या थे? — सरकारी जमीन को निजी नाम पर दर्ज करने के गंभीर दावे
जब अजय कटेसरिया सतना के कलेक्टर थे, तब आरोप लगा कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी जमीनों को निजी व्यक्तियों के नाम कर दिया। कुछ मामलों में राजस्व दस्तावेजों से “शासकीय” शब्द को हटवाने के भी आरोप लगाए गए।
चार बड़े मामले जिनके आधार पर चार्जशीट जारी हुई
आरोप पत्र में जिन भूमि प्रकरणों का उल्लेख था—
- चित्रकूट तहसील मझगवां की 36 एकड़ जमीन निजी व्यक्तियों के नाम कर दी गई।
- कोलगवां में नजूल दर्ज 0.60 एकड़ जमीन निजी पक्षों को दे दी गई।
- लगभग 44,575 वर्गफीट नजूल भूमि निजी लोगों के नाम दर्ज की गई।
- सोनौरा गांव की 0.89 हेक्टेयर जमीन निजी व्यक्तियों के नाम कर दी गई।
तत्कालीन कमिश्नर की रिपोर्ट — “कलेक्टर सीधे जिम्मेदार”
रीवा कमिश्नर अनिल सुचारी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट ने कटेसरिया को सीधे तौर पर दोषी माना।
- कलेक्टर को संरक्षक होने के बावजूद शासकीय भूमि की गलत प्रविष्टियाँ होने दीं।
- दस्तावेजों के विलोपन में भूमिका बताई गई।
- वरिष्ठ न्यायालयों के आदेशों की “गलत व्याख्या” का आरोप लगाया गया।
इसी रिपोर्ट के आधार पर GAD ने मार्च 2022 में अजय कटेसरिया को चार्जशीट थमा दी थी। राजनीतिक स्तर पर भी मामला चर्चा में था।
“बेईमानों को नहीं छोड़ूंगा” — शिवराज का सार्वजनिक बयान
10 अप्रैल 2022 को चित्रकूट में एक कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिना नाम लिए सतना के कलेक्टर पर की गई कार्रवाई का संकेत दिया था। उन्होंने कहा:
“सतना के पुराने कलेक्टर ने करोड़ों की सरकारी जमीनें निजी कर दी हैं। कार्रवाई होगी, मैं बेईमानों को छोड़ूंगा नहीं।”
इस बयान से साफ था कि मामला गंभीर माना जा रहा था और भारी कार्रवाई की उम्मीद थी।
कटेसरिया का कार्यकाल — विवादों और संघर्षों से भरा
फरवरी 2020 में सतना कलेक्टर बनने के बाद कटेसरिया ने कई सरकारी जमीनों को माफिया और नेताओं के कब्जे से छुड़ाने का अभियान चलाया।
उन्होंने कोर्ट परिसर से लगी 2 एकड़ जमीन को दोबारा शासकीय घोषित किया। कई नेताओं की भूमि पर कार्रवाई की।
जब कार्रवाई का दायरा सत्ताधारी दल के नेताओं तक पहुँचा, तभी विरोध बढ़ने लगा। इसी के कुछ समय बाद जमीन घोटाले के आरोप सामने आए और कटेसरिया को सतना से हटा दिया गया।
कैसे बदल गई जांच? — सरकार बदलने के बाद आया बड़ा मोड़
GAD द्वारा चार्जशीट जारी होने के बाद प्रक्रिया धीमी पड़ गई। कटेसरिया ने चार्जशीट का विस्तृत जवाब दिया। फिर नियमों के अनुसार GAD को दोबारा राय लेने के लिए जांच फाइल रीवा कमिश्नर कार्यालय भेजनी पड़ी।
इस बीच प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया — शिवराज सरकार गई और डॉ. मोहन यादव की सरकार आई। अब यहाँ से कहानी ने नया मोड़ लिया।
कटेसरिया का बचाव — पूरा मामला “वरिष्ठ न्यायालयों के आदेशों” पर आधारित
अपनी सफाई में उन्होंने कहा:
- उन्होंने केवल राजस्व मंडल और वरिष्ठ न्यायालयों के आदेशों का पालन किया।
- रिकॉर्ड सुधारने का अधिकार तहसीलदार के पास था, उन्होंने उसी प्रक्रिया का पालन किया।
- विधानसभा के एक उत्तर में उनके फैसलों को राजस्व विभाग ने सही बताया था।
- पहली रिपोर्ट "बदनीयतीपूर्ण" और तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने वाली थी।
नई रिपोर्ट — जिसे दोषी कहा गया था, वही अब “निर्दोष”
दूसरी बार की गई समीक्षा रिपोर्ट कटेसरिया के पक्ष में आई। उनके सभी तर्कों को उचित माना गया और लिखा गया कि:
“आरोप सिद्ध नहीं होते। अधिकारी ने वरिष्ठ न्यायालयों के आदेशों का पालन किया है।”
यही रिपोर्ट GAD के अंतिम आदेश का आधार बनी और 7 नवंबर 2025 को IAS अजय कटेसरिया को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया।
अब सबसे बड़ा सवाल — जांच रिपोर्ट बदली या जांच की दिशा?
प्रश्न यह है कि—
- क्या शुरुआती रिपोर्ट जल्दबाजी में बनाई गई थी?
- क्या दूसरी रिपोर्ट राजनीतिक बदलाव का नतीजा है?
- क्या आरोपों के पीछे राजनीतिक खींचतान थी?
- या फिर पूरा मामला शुरुआत से ही गलत समझा गया था?
यह मामला अब सत्ता, प्रशासन और जांच एजेंसियों की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।
FAQs — सतना जमीन घोटाला जांच
1. अजय कटेसरिया पर क्या आरोप थे?
आरोप था कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन कर सरकारी जमीन निजी लोगों के नाम कर दी।
2. पहली जांच रिपोर्ट ने क्या कहा था?
पहली रिपोर्ट में उन्हें सीधे दोषी ठहराया गया था।
3. अब क्लीन चिट क्यों मिली?
नई रिपोर्ट में कहा गया कि वे वरिष्ठ न्यायालयों के आदेशों का पालन कर रहे थे।
4. जांच बदलने की वजह क्या मानी जा रही है?
सरकार परिवर्तन और अफसरों की भूमिका को लेकर चर्चाएँ तेज हैं।
5. क्या मामला अब खत्म हो गया?
प्रशासनिक रूप से हाँ, लेकिन राजनीतिक और जनचर्चाओं में मामला अभी जीवित है।




