सतना

Satna : पीपीई किट धोकर बेचने का मामला, संचालक को बचाया और वैज्ञानिक को निपटाया

News Desk
3 Jun 2021 9:05 AM GMT
Satna : पीपीई किट धोकर बेचने का मामला, संचालक को बचाया और वैज्ञानिक को निपटाया
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सतना। इंडो वाटर बायो वेस्टेज प्लांट में उपयोग की गई पीपीई किट नष्ट करने की बजाए धोकर बेचने का मामला भोपाल तक पहुंचने के बाद कार्रवाई शुरू की गई है। मामले में एक वैज्ञानिक राहुल तिवारी को निलंबित कर दिया गया है। जबकि संचालक को बचाने का प्रयास किया गया है। आपको बता दें कि राज्य सभा सदस्य व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा था और कार्रवाई की मांग की थी।

सतना। इंडो वाटर बायो वेस्टेज प्लांट में उपयोग की गई पीपीई किट नष्ट करने की बजाए धोकर बेचने का मामला भोपाल तक पहुंचने के बाद कार्रवाई शुरू की गई है। मामले में एक वैज्ञानिक राहुल तिवारी को निलंबित कर दिया गया है। जबकि संचालक को बचाने का प्रयास किया गया है। आपको बता दें कि राज्य सभा सदस्य व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा था और कार्रवाई की मांग की थी।

मामला मीडिया में आने के बाद जहां क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने भी निरीक्षण किया था। इसके पूर्व एसडीएम द्वारा मौके पर जाकर निरीक्षण किया गया था लेकिन सभी टीम की जांच के बाद प्लांट संचालक को क्लीन चिट दे दी गई थी। लेकिन इस लापरवाही की गूंज भोपाल तक पहुंच गई और विभाग को कार्रवाई करनी पड़ गई।

पूरे मामले में अब प्रदूषण नियंत्रण विभाग के क्षेत्रीय प्रदूषण वैज्ञानिक राहुल तिवारी को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की गई है। वैज्ञानिक राहुल तिवारी पर लापरवाही बरतने और समय पर निरीक्षण नहीं करने पर यह कार्रवाई की गई है। वहीं अब तक अधिकारियों को प्लांट से पीपीई किट बाजार में बेचे जाने का पुख्ता सबूत नहीं मिला है।

शिकायतों की होती रही अनदेखी

इंडो वाटर मैनेजमेंट एवं पॉल्यूशन कंट्रोल कारपोरेशन के मालिक अमोल मोहने बताए जाते हैं जो शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर बड़खेरा पोस्ट भटनवारा जिला सतना में बस्ती में स्थित है। विगत वर्षों से प्लांट के लापरवाही पूर्वक संचालन की शिकायत संबंधित विभाग में की जा रही हैं लेकिन अनदेखी की जाती रही और कोई सुधार नहीं हो सका। स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे 24 घंटे 7 दिन कचड़ा, धुंआ व दुर्गंध निकलती है। इस मामले में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ही राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम भी जांच करने पहुंची थी लेकिन प्लांट प्रबंधन ने इस वीडियो को ही फर्जी और एक वर्ष पुराना बताकर जांच को रफा-दफा करवा दिया।

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