सतना

मध्य प्रदेश: मैहर वाली माता मंदिर से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने का आदेश!

मध्य प्रदेश: मैहर वाली माता मंदिर से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने का आदेश!
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मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर नगर में स्थापित मां शारदा देवी के मंदिर में काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने का आदेश जारी किया गया है

Muslim employees will removed from Maihar Wali Mata Temple: मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर शहर में स्थापित मां शारदा देवी के मंदिर में काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने का आदेश जारी किया गया है. कहा जा रहा है कि हिन्दू धर्मस्थल मैहर वाली माता में मुस्लिम कर्मचारियों का होना जरूरी नहीं है. मैहर में शारदा मैया के मंदिर से मुस्लिम कर्मचारियों को निकाले जाने का आदेश कथित रूप से धर्मस्व विभाग की तरफ से जारी किया गया है. इसके अलावा क्षेत्रीय लोगों ने मैहर में मंदिर के आसपास शराब और मांस की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग उठाई है.

मैहर वाली माता के मंदिर में काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारियों को हटाए जाने के फैसले की जहां कुछ लोग तारीफ कर रहे हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जिन्हे यह निर्णय गलत लग रहा है. बता दें कि मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकाला गया है बल्कि उन्हें मंदिर की जिम्मेदारियों से पृथक कर दूसरा काम सौंपा गया है. फिर भी लोग इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं.

मैहर मंदिर से हटाए गए मुस्लिम कर्मचारी

बतया गया है कि मौजूदा समय में मैहर मंदिर में तीन मुस्लिम कर्मचारी कार्यरत थे, जिनकी पोस्टिंग दूसरे स्थान पर कर दी गई. उन्हें अब मंदिर प्रांगण में जाकर काम करने की जरूरत नहीं है. लेकिन कुछ कुछ इस निर्णय को हिन्दू-मुस्लिम में फर्क करने के नजरिये से भी देख रहे हैं. लोगों का कहना है कि अगर कोई मुस्लिम मंदिर में काम करत है तो इसमें दिक्क्त क्या है?

बताया गया है कि मां शारदा मंदिर प्रबंधक कमेटी ने मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने का आदेश जारी किया है. मंदिर में 35 सालों से काम कर रहे आबिद हुसैन विधिक सलाहकार और अय्यूब खान जल व्यवस्था प्रभारी 1988 से यहां नियमित कर्मचारी रहे हैं.

एक मुस्लिम पहलवान से जुडी है मैहर मंदिर की कहानी

गौरतलब है कि मैहर वाली माता का सबसे बड़ा भक्त 'आल्हा पहलवान' को माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि सदियों से आल्हा नामक मुस्लिम पहलवान जो की माता के वरदान से अमर है वो हर दिन माता का श्रृंगार करने के लिए मंदिर आते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जब पुजारी मंदिर का पट खोलते हैं तो माता का श्रृंगार कोई कर चुका होता है. मान्यता है कि श्रृंगार करने वाला वह शख्स कोई और नहीं बल्कि मुस्लिम पहलवान आल्हा है.

जिस मंदिर की कहानी एक मुस्लिम से जुडी हो वहां पर काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारियों को सिर्फ इस लिए हटा देना क्योंकि वह मुस्लिम हैं यह बात किसी को रास नहीं आ रही है.

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