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सतना। यह बड़े ही दुख की बात है कि अस्पतालों में गरीबों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। जिले में संचालित बिड़ला चैरिटेबल अस्पताल लगता है कि सिर्फ रसूखदारों की सुविधा के लिये है। यहां गरीबों को इलाज मिलना मुश्किल है। यही कारण है कि एक गरीब की बेटी को समय पर इलाज न मिल पाने के कारण दम तोड़ दिया। बालिका की मौत के बाद परिजनों ने नारे लगाते हुए अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया।
मिली जानकारी अनुसार जिले के घूरडांग में एक दुर्घटना मंे बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई थी। जिसे परिजन बिड़ला अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन पहले तो रेलवे फाटक बंद होने के कारण घंटो तक अस्पताल में दाखिला नहीं मिल सका। इसके बाद अस्पताल पहुंचने पर पैसे के अभाव में बच्ची को इलाज नहीं मिला। गरीब पिता चंदा जुटाने का प्रयास करता लेकिन तब तक बच्ची की मौत हो गई। बताया गया है कि गरीब के पास पैसे न होने की वजह से अस्पताल में बच्ची को इलाज नहीं मिल सका। जिससे उसकी मौत हो गई।
अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ बढ़ा आक्रोश
घायल बच्ची की मौत के बाद परिजनों एवं आमजनों ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश जताते हुए नारेबाजी की। वहीं आरोप लगाया कि बिड़ला में सिर्फ पैसे वालों एवं रसूख वालों को इलाज मिलता है, यहां गरीबों को इलाज नहीं मिल पाता। परिजनों ने कहा कि पैसे के कारण बच्ची के इलाज में देरी की गई इसलिए उसकी मौत हो गई। बिड़ला प्रबंधन मुर्दाबाद के नारे लगाए गए।
गरीबों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार
सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने का प्रयास लगातार कर रही है, इसके बावजूद गरीब अस्पतालों में दोयम दर्जे के व्यवहार का शिकार होते हैं। ऐसा ही एक मामला सतना जिले के बिड़ला अस्पताल सामने आया है जहां एक गरीब बच्ची को पैसे के अभाव में इलाज नहीं मिल सका और उसकी मौत हो गई। इसके बाद लोगों में आक्रोश पनप उठा और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।