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अब स्विट्जरलैंड की ट्राली में बैठ श्रद्धालु कर सकेंगे 1000 फ़ीट ऊंचाई की यात्रा, आसान होगी राह : SATNA NEWS

सतना. भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट आने वाले श्रद्धालु अब एक और रोप-वे पर रोमांच भरी यात्रा कर सकेंगे। श्रद्धालुओं को हनुमानधारा तक पहुंचने के लिए 700 सीढि़यां नहीं चढऩी होंगी। 1000 फ ीट ऊंचाई पर स्थित हनुमानधारा में चल रहे रोप-वे निर्माण का कार्य लगभग पूरा हो गया है। मार्च से स्विट्जरलैंड की ट्राली के साथ रोप-वे की सेवा शुरू होगी। प्रति घंटे लगभग 500 लोग आ-जा सकेंगे। हनुमानधारा में यह रोप-वे मध्यप्रदेश का तीसरा प्रोजेक्ट होगा। मैहर और देवास में पहले से सेवा का संचालन हो रहा है। चित्रकूट में रोप-वे की सुविधा लक्ष्मण पहाड़ी (यूपी) पर पहले से उपलब्ध है।
आसान होगी राह हनुमानधारा और सीता रसोई तक पहुंचने के लिए अभी श्रद्धालुओं को 665 सीढि़यां चढऩी पड़ती हैं। अब रोप-वे से उनकी राह आसान होगी। रोप-वे निर्माण एवं उसके संचालन का काम निजी एजेंसी दमोदर रोप-वे इंफ्रा लिमिटेड को ३० साल की लीज पर दिया गया है।
हनुमानधारा तक रोप-वे से जाने वाले श्रद्धालुओं को प्राकृतिक नजारा भी दिखेगा। 4 मिनट में रोप-वे ट्रॉली नीचे से ऊपर पहुंच जाएगी। इस दौरान बीच में करीब 1 मिनट के लिए ट्रॉली को रोका जाएगा। इससे श्रद्धालु कुछ पल हवा में लटककर चित्रकूट के प्राकृतिक सौंदर्य को निहार सकेंगे।
हनुमानधारा का धार्मिक महत्व चित्रकूट में हनुमानधारा का विशेष महत्व है। यहां पर हनुमानजी को वह सुख और शांति मिली थी, जो पूरे ब्रह्मांड में हासिल नहीं हुइ। किवदंती है कि लंका दहन में हनुमानजी का पूरा शरीर काफ ी तप गया था। लंका विजय के बाद उन्होंने अपने आराध्य प्रभु श्रीराम से शरीर की शीतलता का उपाय पूछा। प्रभु ने उनको विंध्य पर्वत पर ऋषि मुनियों की पवित्र भूमि की प्राकृतिक छटा पर तप की सलाह दी। हनुमानजी ने चित्रकूट आकर विंध्य पर्वत श्रंृखला की इसी पहाड़ी पर श्रीराम रक्षा स्त्रोत का पाठ 1008 बार किया था। अनुष्ठान पूर्ण होने पर जलधारा प्रकट हुई। उससे उनको शीतलता मिली। वह धारा वर्तमान में भी अविरल बह रही है। इसलिए इसका नाम हनुमानधारा पड़ा। हकीकत
हनुमान धारा की ऊंचाई 1000 फ ीट कुल सीढि़यां 665
रोपवे की लंबाई 327 मीटर रोपवे में ट्राली 6
एक बार में सवारी 48 रोप-वे से सफर 4 मिनट में





