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एमपी के इस विश्वविद्यालय में 157 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति अवैध, HC ने लगाया 5 लाख का जुर्माना

डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में अवैध नियुक्तियां: मध्यप्रदेश की पहली यूनिवर्सिटी, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने 2013 में 82 पदों पर की गई 157 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति को अवैध करार दिया है। कोर्ट ने इन नियुक्तियों को गैरकानूनी और अनुचित बताते हुए विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद (EC) के 14 नवंबर 2022 के फैसले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने इस गंभीर अनियमितता के लिए विश्वविद्यालय पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
बिना विज्ञापन और UGC नियमों के हुई थीं नियुक्तियां
एमपी हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ तौर पर कहा कि विश्वविद्यालय ने बिना उचित विज्ञापन दिए, यूजीसी की चयन प्रक्रिया का पालन किए बिना और यहां तक कि बिना आवेदन वाले या पहले अस्वीकृत हो चुके उम्मीदवारों की भी नियुक्ति की थी। कोर्ट ने माना कि ये नियुक्तियां अभ्यर्थियों के साथ धोखा थीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय ने अपने पहले के आदेशों, कुलाध्यक्ष (भारत के राष्ट्रपति) की सलाह को भी नजरअंदाज किया और पिछली अवैधता को छिपाने की कोशिश की।
5 लाख का जुर्माना और नई भर्ती का निर्देश
कोर्ट ने जुर्माने की 5 लाख रुपये की राशि को 5 अलग-अलग फंड में जमा करने का आदेश दिया है, जिसमें पुलिस कल्याण कोष, राष्ट्रीय रक्षा कोष और सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष जैसे फंड शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि यह जुर्माना उन व्यक्तियों से वसूला जा सकता है, जिन्होंने 14 नवंबर 2022 की विवादित बैठक में हिस्सा लिया था। कोर्ट ने अब विश्वविद्यालय को 3 महीने के भीतर 7 फरवरी 2020 के फैसले के तहत नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो 14 नवंबर 2022 के फैसले के तहत नियुक्त किए गए असिस्टेंट प्रोफेसर 15 नवंबर 2025 से काम नहीं कर पाएंगे।
Rewa Riyasat News
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