रीवा

सिर्फ 48 घंटे खुलता है यहां का किला, हर साल रीवा से आती है यह मूर्ति, मन्नत भर से हो जाती है मुराद पूरी, जरूर पढ़िए

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:12 AM GMT
सिर्फ 48 घंटे खुलता है यहां का किला, हर साल रीवा से आती है यह मूर्ति, मन्नत भर से हो जाती है मुराद पूरी, जरूर पढ़िए
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पन्ना. मध्‍य प्रदेश के पन्ना (Panna) में अजयगढ़ किले (Ajaygarh Fort) में मौजूद अजयपाल बाबा का मंदिर एक बार फिर खुला है. मंदिर में हर साल की तरह इस बार भी भगवान अजयपाल की मूर्ति लाई गई है, जहां दर्शन और मन्नत मांगने के लिए लाखों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. किले का यह मंदिर साल में सिर्फ एक बार 48 घंटे के लिए ही खुलता है. दूर-दूर से निसंतान दंपति और किसान इसके दर्शन के लिए आते हैं. इस किले के बारे में यह भी कहा जाता है कि यहां चंदेल राजाओं का खजाना आज भी मौजूद है और बीजक में इसके खोलने का राज छिपा है.
हर साल रीवा से लाई जाती है मूर्ति
हर साल मकर संक्रांति के मौके पर किले का यह मंदिर खोला जाता है और रीवा के पुरातत्व संग्रहालय में सुरक्षित रखी भगवान अजयपाल की मूर्ति को यहां लाया जाता है. इस मूर्ति के दर्शन को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाले लोगों की हर मुराद पूरी होती है. निसंतान दंपति यहां अपनी गोद भरने की दुआ लेकर आते हैं और कुछ मन्नत पूरी होने के बाद प्रसाद चढ़ाकर भगवान को धन्यवाद देने भी आते हैं. लोग मवेशियों की सुरक्षा की दुआ लेकर भी यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. माना जाता है कि यहां के एकमात्र कंकड़ को ही अगर मवेशियों के पास रख दिया जाए तो पशुओं की बीमारियां दूर हो जाती हैं.
छिपा है हजारों साल पुराने खजाने का राज
अजयगढ़ के किले का इतिहास बताता है कि यह 2 हजार ईसा पूर्व चंदेल वंश के राजाओं के दौर का है. बताया जाता है कि यहां चंदेल कालीन राजाओं का खजाना है, जिसके ताला और चाबी का रहस्य बीजक में छिपा है. इस किले को लेकर कई किस्से कहानियां भी हैं. कहा जाता है कि औरंगजेब जब यहां आया तो उन्होंने किले में छिपे खजाने का पता लगाने के लिए यहां के मंदिर में रखी मूर्ति तोड़ने की कोशिश की थी. हालांकि मूर्ति टूटने के बजाय पानी के कुंड में जाकर विलुप्त हो गई और तभी से किले में मौजूद खजाना दुनिया के लिए रहस्य बन गया है.

चंदेलों के ऐतिहासिक किलों में से एक चंदेल राजाओं के इतिहास का बड़ा हिस्सा इसी किले के इर्द-गिर्द रहा है. आजयगढ़ चंदेलों के 8 ऐतिहासिक किलों में से एक है. यहां ऐसी अनेक ऐतिहासिक मूर्तियां हैं जिनमें कार्तिकेय, गणेश, जैन तीर्थंकरों के आसन है. इनमें वात्सल्य की भी एक मूर्ति है. दूर से देखने पर खजुराहो और अजयगढ़ का किला एक ही वास्तुकार के हाथों का करिश्मा दिखता है और यहां मौजूद शिलालेखों पर अजयपाल के इस किले का रहस्य छिपा हुआ है. इस बीजक में ताला चाबी की आकृति भी बनी है लेकिन अब तक कोई भी इस लिपि को पढ़ नहीं पाया, लिहाजा खजाने का यह रहस्य अब भी रहस्य ही बना हुआ है

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