रीवा

विंध्य को एक और झटका! विंध्य विकास प्राधिकरण समेत 3 विकास प्राधिकरणों को बंद करने की तैयारी में कमल नाथ सरकार

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:12 AM GMT
विंध्य को एक और झटका! विंध्य विकास प्राधिकरण समेत 3 विकास प्राधिकरणों को बंद करने की तैयारी में कमल नाथ सरकार
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रीवा। योजना एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा गठित किए गए प्रदेश के तीन विकास प्राधिकरणों को अब बंद करने की तैयारी है। विभाग की ओर से इसकी रूपरेखा तय कर ली गई है, अब सरकार की कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा। सरकार की अनुमति मिलते ही प्राधिकरण के कार्यालय में ताला लग जाएगा और यहां पर कार्यरत कर्मचारी अपने मूल विभाग को वापस लौट जाएंगे। विभाग ने विंध्य विकास प्राधिकरण (Vindhya Development Authority), महाकौशल विकास प्राधिकरण (Mahakaushal Development Authority) एवं बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण (Bundelkhand Development Authority) का गठन किया था।

सरकार के अनुसार जिन उद्देश्यों को लेकर इन प्राधिकरणों का गठन हुआ था, उस मुताबिक़ मैदानी स्तर पर कार्य नहीं हुआ। अन्य प्राधिकरणों की तुलना में इन्हें बजट भी कम आवंटित हो रही थी और जो राशि मिली भी, उससे कराए गए कार्यों का बेहतर फीडबैक नहीं रहा है। इसलिए इसे फिजूलखर्ची बताते हुए विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे शासन के सामने पेश किया जाएगा। पूर्व की सरकार ने तीनों प्राधिकरणों का गठन कर नेताओं को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देते हुए अध्यक्ष बनाया था। साथ ही उपाध्यक्षों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। प्राधिकरणों की नियुक्तियां राजनीतिक लाभ का पद बनकर रह गई। कुछ महीने पहले ही मुख्यमंत्री ने भी इस बात के संकेत दिए थे कि फिजूलखर्ची को रोकने के लिए पूर्व में किए गए कार्यों की समीक्षा होगी।

विंध्य विकास प्राधिकरण में शामिल हैं आठ जिले विंध्य विकास प्राधिकरण में रीवा (Rewa), शहडोल (Shahdol) और जबलपुर (Jabalpur) संभाग के आठ जिलों को शामिल किया गया है। जिसमें प्रमुख रूप से रीवा (Rewa), सतना (Satna), सीधी (Sidhi), सिंगरौली (Singrauli), शहडोल (Shahdol), अनूपपुर (Anuppur), उमरिया (Umaria) एवं डिंडोरी (Dindori) शामिल हैं। प्राधिकरण में हर जिले से एक-एक निजी व्यक्ति को सदस्य बनाया जाता रहा है। साथ ही रीवा, शहडोल संभाग के कमिश्नरों के साथ ही आठों जिलों के कलेक्टरों को भी विशेष आमंत्रित सदस्य मनोनीत किया जाता रहा है। सामान्यसभा में भाजपा के विधायकों को भी सदस्य बनाया गया था।

सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन दूर करने हुआ था गठन विंध्य विकास प्राधिकरण का गठन 27 सितंबर 2008 को हुआ था। जिसमें विंध्य क्षेत्र के संबंधित जिलों से आर्थिक एवं सामाजिक पिछड़ापन दूर करने एवं विकास की गति को बढ़ाने के लिए इसका उद्देश्य बताया गया था। विकास योजनाएं तैयार कर शासन को देने की बात भी कही गई थी। जिन उद्देश्यों को लेकर इसका गठन हुआ, उसके अनुसार प्राधिकरण कार्य नहीं कर पाया। पहले अध्यक्ष के रूप में भाजपा नेता अजय प्रताप सिंह और दूसरे सुभाष सिंह की नियुक्ति हुई। पहले कार्यकाल में कुछ प्रयास भी हुए लेकिन दूसरे में यह उद्देश्य से भटक गया। जो राशि शासन से मिली, उसमें मनमानी रूप से खर्च किया गया। लोगों के बीच जाकर संवाद करना था, उनसे जरूरतें पूछकर शासन तक पहुंचानी थी।

चल रहे कार्यों को समेटने के निर्देश प्राधिकरणों को बंद करने का अभी आधिकारिक निर्देश नहीं आया है। बीते महीने 24 दिसंबर को भोपाल में हुई बैठक में यह बात सामने आई थी कि तीनों प्राधिकरण उद्देश्य के अनुरूप कार्य नहीं कर रहे हैं, इसलिए इन्हें बंद करने के लिए प्रस्ताव कैबिनेट के पास भेजा जाए। अब योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है। साथ ही तीनों प्राधिकरणों को निर्देश भी दिए गए हैं कि पूर्व से जो कार्य चल रहे हैं, उन्हें जल्द पूरा कराया जाए। साथ ही रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया है,जिसमें बताना होगा कि अब तक कितने कार्य हुए हैं।

भ्रष्टाचार को लेकर भी रही सुर्खियां विंध्य के आठ जिलों में सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ापन दूर करने के साथ ही कुछ मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए भी राशि मिलती रही है। वर्ष 2017-18 में सोलर लाइट लगाने के नाम पर करीब 70 लाख रुपए की अनियमितता के आरोप लगाए गए थे। इस पर जांच समिति भी गठित की गई थी, जिसमें शिकायत के तथ्य प्रथम दृष्टया सही बताए गए थे, हालांकि सत्ताधारी दल के नेताओं की भूमिका आने की वजह से मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

नियुक्ति के लिए नेताओं की जोर अजमाइश कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से कई नेताओं ने विंध्य विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्य बनने के लिए शिफारिशें लगा रखी हैं। संगठन के बड़े नेताओं के पास दावदारों ने नाम भी भेजे हैं। दूसरी ओर प्राधिकरण को बंद करने की तैयारी चल रही है, यह उन नेताओं के लिए झटका होगा जो लंबे समय से मंसूबे पाले हुए हैं। हालांकि अंतिम निर्णय सरकार के हाथ में है।

विविप्रा में अब तक का कार्यकाल

  • अजय प्रताप सिंह, अध्यक्ष- 11 अगस्त 2008 से 12 जनवरी 2014 तक।
  • प्रदीप खरे, प्रशासक(संभागायुक्त)- 13 जनवरी 2014 से 31 जुलाई 2014 तक।
  • केपी राही, प्रशासक(अपर आयुक्त)- एक अगस्त 2014 से 30 सितंबर 2014 तक।
  • एसके पॉल, प्रशासक(संभागायुक्त)- 13 अक्टूबर 2014 से 16 फरवरी 2014 तक।
  • सुभाष सिंह, अध्यक्ष - 17 फरवरी 2017 से 6 अक्टूबर 2018 तक।
  • डॉ. अशोक कुमार भार्गव, प्रशासक(संभागायुक्त)- 11 मार्च 2019 से अब तक।

आंतरिक रूप से कार्यों की समीक्षा होती है, प्राधिकरणों को बंद करने या फिर नए स्वरूप में लाना सरकार के निर्णय पर निर्भर होता है। अभी आंतरिक मामला है, इसलिए जब तक शासन की स्वीकृति नहीं मिल जाती, कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। जब शासन की स्वीकृति मिलेगी तभी आधिकारिक रूप से सूचना जारी होगी। आरएस राठौर, अपर संचालक योजना एवं सांख्यिकी संचालनालय भोपाल विंध्य विकास प्राधिकरण का संचालन शासन के निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है। हमारे पास अभी आधिकारिक रूप से कोई सूचना नहीं आई है। शासन के पास अधिकार हैं कि समीक्षा कर निर्णय ले सकता है। हमें जैसा भी निर्देश मिलेगा, उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे। डॉ. अशोक कुमार भार्गव, प्रशासक विंध्य विकास प्राधिकरण

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