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- रीवा : सरपंच ने फांसी...
रीवा। बड़े-बड़े विज्ञापनों में भले ही टीबी की बीमारी का इलाज संभव होने का प्रचार-प्रसार किया जा रहा हो, लेकिन यह बीमारी आज भी लोगों के लिए आफत से कम नहीं है और इस बीमारी से परेशान लोग आत्महत्या जैसे कदम उठाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। जिले के गढ़ थाना के मौहरिया गांव निवासी पूर्व सरपंच अशोक तिवारी पुत्र सूर्यकांत तिवारी 65 वर्ष ने एक सप्ताह पूर्व टीबी की बीमारी से परेशान होकर फांसी लगा ली। इसी बीच घर के सदस्यों की नजर उस पर पड़ी और आनन-फानन में उसे रस्सी से नीचे उतारकर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। वृद्ध द्वारा उठाए गए इस कदम के चलते आखिरकार जिंगदी की जंग वह शनिवार को हार गया और उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।
घर वालों से बना ली थी दूरियां
अशोक तिवारी के पुत्र ने बताया कि लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व जानकारी प्राप्त हुई कि उन्हें टीबी की बीमारी है और यह बीमारी उनकी लगातार बढ़ रही थी। इलाज कराने के बाद भी बीमारी ठीक नहीं हो रही थी। विगत दिनों वह अपना परीक्षण भी कराने डॉक्टर के पास पहुंचा था। इस दौरान उसे पता चला कि यह संक्रमित बीमारी है और घर के अन्य सदस्य भी इस बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं। यह जानकारी मिलने के बाद उसने घर के सदस्यों से दूरियां बना ली और वह स्वयं घर के अंदर जाने के लिए तैयार नहीं था। शहर में उसके पुत्र रहते हैं और वह पुत्रों के कमरे में रहने की बजाय सीधे गांव पहुंच गया जहां उसने अपनी इस बीमारी से तंग आकर तथा घर के अन्य सदस्यों को इस बीमारी से बचाने के लिए अपनी जीवन लीला समाप्त करने खुद को फांसी लगा लिया था।
डेढ़ वर्ष से मेरे पिता को यह बीमारी थी। उन्हें बताया गया कि बीमारी ज्यादा बढ़ गई है और इसका संक्रमण अन्य लोगों पर भी फैलेगा। शायद यही वजह रही कि वे गांव पहुंचे और घर जाने की बजाय खुद को फांसी लगाकर आत्महत्या का कदम उठा लिया था।
-अजय तिवारी, मृतक का पुत्र