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रीवा: राजनैतिक दलों को लाभ पहुंचाने का आरोप, निगमायुक्त की शिकायत
रीवा। निगमायुक्त सभाजीत यादव की शिकायत निर्वाचन आयोग से की गई है। पीएम आवास योजना के एएचपी घटक को लेकर लिए गए मनमानी निर्णय पर निगमायुक्त को कठघरे में खड़ा किया गया है, उनके इस निर्णय को मनमानी बताते हुए राजनीतिक दलो को लाभ पहुंचाने वाला बताया गया है, समाजसेवी बीके माला ने इस निर्णय को स्वेच्छाचारिता, मनमानी व सिविल सेवा आचरण के अनुरूप न बताते हुए जांच की मांग की है। शिकायत चुनाव आयोग के अलावा प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन से भी की गई है।
गौरतलब है, निगामयुक्त सभाजीत यादव ने आचार संहिता प्रभावशील होने के बाद पीएम आवास योजना के एएचपी आवास घटक के तहत हितग्राहियों को आवास फाइनेंस कराने के लिए प्राइवेट कंपनी आवास फाइनेंस को अधिकृत कर हितग्राहियों को आवास फाइनेंस शुरू करा दिया था। चूंकि, यह केन्द्र सरकार की योजना है व आवास फाइनेंस करने की प्रक्रिया पिछले डेढ़ वर्षो से चल रही थी लेकिन आवास फाइनेंस नहीं हो पा रहा था, उसे आचार संहिता के दौरान ही मनमानी तरीके से प्राइवेट कंपनी से फाइनेंस कराना क्यों शुरू किया गया? इस पर सवाल खड़ा करते हुए समाजसेवी बीके माला ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताया है।
एमआईसी भी दरकिनार: समाजसेवी बीके माला ने यह भी कहा कि इस आवास को फाइनेंस कराने के लिए बैंकों को अधिकृत किया गया था, यह प्रकरण एमआईसी की बैठक में भी गया था, प्राइवेट कंपनी का याज अधिक होने से साफ इंकार सदस्यों ने किया था लेकिन बावजूद इसके मनमानी निर्णय निगम प्रशासन ने लिया। माला ने यह भी कहा कि हितग्राहियों को धोखे में रखकर निगमायुक्त उनके हित में आवास फाइनेंस बताकर आवास फाइनेंस प्राइवेट कंपनी के माध्यम से करवा रहे हैं। जबकि अभी आवासों का निर्माण पूरा नहीं हुआ है और आवास आवंटित करा दिए गए हैं, यदि उन्हें फाइनेंस कर दिया जाएगा तो वह समस्त वित्तीय भार हितग्राहियों पर आएगा।