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रीवा/मध्यप्रदेश : मोदी लहार में जीते इन सांसदों से हाथ जोड़ सकती है भाजपा, पढ़िए कैसे कटेगी टिकट
लोकसभा चुनाव-2019 की तैयारी में जुटी भाजपा अपने कई जीते हुए सांसदों का टिकट काटने की तैयारी में है। पार्टी ने विधानसभा चुनाव की तर्ज पर आगामी चुनावों के लिए भी सांसदों के प्रदर्शन की रिपोर्ट तैयार कराई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के निर्देश पर तैयार रिपोर्ट में पहली बार सांसद बने नेताओं का प्रदर्शन बेहद कमजोर आंका गया है। पार्टी सूत्रों की मानें तो ऐसे सांसदों के टिकट आगामी लोकसभा चुनावों में संकट में पड़ सकते हैं।
पार्टी ने प्रदेश के सभी सांसदों के कामकाज को लेकर फीडबैक जुटाया है। इसमें कई बिंदुओं पर सांसदों के कामकाज का आकलन किया गया है। सांसद की क्षेत्र में मौजूदगी से लेकर संसद में उनके प्रदर्शन को भी शामिल किया गया है। पार्टी की इस परीक्षा में प्रदेश में पहली बार चुने गए लगभग 14 सांसद फेल हो गए। इनमें से कुछ तो हाल ही में विधायक बन गए हैं और बाकियों की टिकट खतरे में है।
इन सांसदों से हाथ जोड़ सकती है भाजपा रिपोर्ट के मुताबिक जिन सांसदों के टिकट पर खतरा मंडरा रहा है उनमें भिंड से भागीरथ प्रसाद, सागर से लक्ष्मीनारायण यादव, मंदसौर से सुधीर गुप्ता, भोपाल से आलोक संजर, राजगढ़ से रोडमल नागर, होशंगाबाद से भाजपा से पहली बार चुने गए उदय प्रताप सिंह, रीवा से जनार्दन मिश्रा, सीधी से रीति पाठक, उज्जैन से चिंतामणि मालवीय, धार से सावित्री ठाकुर, मुरैना से अनूप मिश्रा, खरगोन से सुभाष पटेल के नाम शामिल हैं। खजुराहो से नागेंद्र सिंह और शाजापुर से मनोहर ऊंटवाल अब विधायक बन गए हैं पर सांसद के रूप में इनका कामकाज भी पार्टी की अपेक्षाओं के अनुकूल नहीं रहा है।
तीन रिपोर्ट्स के बाद संघ जुटा रहा फीडबैक पार्टी ने तीन अलग-अलग स्तर पर रिपोर्ट तैयार करवाई है। एक रिपोर्ट तो प्रदेश भाजपा ने बनवाई है। दूसरी रिपोर्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की टीम के लोगों ने लोकसभा क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में लोगों से बातचीत कर तैयार की है। तीसरी रिपोर्ट एक स्वतंत्र एजेंसी से तैयार करवाई गई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इन तीनों रिपोर्ट्स के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी कार्यकर्ताओं से बातचीत कर फीडबैक जुटा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इनमें से कुछ सांसदों के टिकट कट सकते हैं। विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने कमजोर प्रदर्शन वाले लगभग 60 विधायकों के टिकट काटे थे। सिर्फ जहां जातिगत संकट आएगा, वहीं के सांसद को राहत मिल सकती है।
भारी पड़ सकती है अपनों की नाराजगी पहली बार चुने गए सांसदों से ज्यादातर कार्यकर्ता नाराज हैं। इसकी वजह ये है कि सांसदों ने कार्यकर्ताओं से न तो मेल-मुलाकात की और न ही वे पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल हुए। हर सीट पर स्थानीय विधायकों और संगठन के साथ खींचतान के तथ्य भी पार्टी के सामने आए हैं।
केंद्रीय योजनाओं के प्रचार-प्रसार में भी फिसड्डी खराब प्रदर्शन करने वाले सांसदों के क्षेत्र में केंद्रीय योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी पार्टी ने कमजोर आंका है। हितग्राहियों तक बार-बार पहुंचने के पार्टी के कार्यक्रम के बावजूद सांसद लोगों को मोदी सरकार की उपलब्धियों से अवगत करा पाने में सफल नहीं हुए हैं।
केंद्रीय समिति चुनेगी प्रत्याशी भाजपा के प्रदेश प्रभारी व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे के अनुसार भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति समस्त राजनीतिक परिस्थितियों पर विचार-विमर्श करके सबसे उपयुक्त प्रत्याशी को टिकट देगी। खासतौर से वो जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनहितैषी योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाएगा। पार्टी समय-समय पर राजनीतिक हालातों का अध्ययन करती रहती है, जिसके आधार पर निर्णय लिया जाता है।