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रीवा: भाजपा नेताओं के इशारे पर कर्ज लेते रहें नगर निगम के अफसर, अब चुकाने के वक़्त बिगड़ गई आर्थिक व्यवस्था
रीवा। शहर में विकास कार्य अवरुद्ध किए जाने के लगातार लग रहे आरोपों पर नगर निगम आयुक्त सभाजीत यादव ने वर्तमान रिपोर्ट कार्ड पेश किया है। प्रेस कांफ्रेंस कर उन्होंने वर्तमान में चल रहे कार्यों के साथ ही निगम की आर्थिक स्थिति भी रखी। जिसमें बताया कि निगम के कार्यों में फिजूलखर्ची रोकने के साथ ही आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हंै।
उन्होंने यह भी कहा कि पेयजल, सडक़ निर्माण, आवास सहित अन्य कई कार्यों के लिए पूर्व के अधिकारियों ने ऋण लिया था। इस ऋण पर निगम को 11.15 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज भी वापस करना पड़ रहा है। साल भर के भीतर करीब ३० करोड़ रुपए से अधिक की राशि भरी गई है। इस तरह के ऋणों की वजह से निगम की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ा है। अधिकांश देनदारियों के भुगतान का समय अब आ गया है।
इसके अलावा कई ऐसे कार्य भी पहले हुए थे, जिनकी वजह से निगम को करोड़ों का नुकसान हुआ था। जिस पर संबंधितों के विरुद्ध कार्रवाई का प्रस्ताव दिया गया है। इसकी वसूली की भी प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। मुख्यमंत्री अधोसंरचना के तहत शहर में जहां पर भी सडक़, नाली आदि का निर्माण कराया गया है, उसके भी आकड़े आयुक्त ने पेश किए। उन्होंने कहा कि युवा स्वाभिमान योजना के तहत बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार दिया गया।
इसके बाद 15 स्व सहायता समूहों को भी पार्कों के रखरखाव का कार्य सौंपा गया है। साथ ही संबल योजना एवं आवास योजना के हितग्राहियों का सत्यापन भी कराया गया। इस बीच आयुक्त ने यह भी आरोप लगाया कि बीते साल चुनावी वर्ष में 65 करोड़ रुपए के टेंडर कर निगम पर वित्तीय भार बढ़ाए गए थे। बीते दस वर्षों में निगम को हुए आय-व्यय के आंकड़े भी पेश किए गए हैं। आयुक्त ने कहा है कि ऋण के भार के बावजूद निगम के राजस्व को बढ़ाने के सभी प्रयास किए जा रहे हंै। कई पद खाली होने के बाद भी लक्ष्य के अनुरूप राजस्व वसूली के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
हर सवाल का जवाब देने को तैयार निगम आयुक्त ने यह भी कहा है कि विकास अवरुद्ध करने के बेबुनियाद आरोप हैं। यदि कोई तार्किक और जनता से जुड़े मुद्दों पर सवाल करता है तो तथ्यों के साथ उत्तर दिया जाएगा।