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रीवा: फेल हुआ पैराशुट और सहानुभूमि फार्मूला, कांग्रेस की दुर्दशा, कौन जिम्मेदार?
रीवा। यहां बड़े-बड़े नेता दूसरी पार्टियां छोड़कर बड़े दावों के साथ कांग्रेस में आए थे कि उनका अपना जनाधार है किंतु जब परिणाम आए तो पोल खुली कि केवल उनका अपना भर वोट है,जो वोट उन्हें दूसरे दलों में मिले थे उसमें उनका कोई असर नहीं पड़ा। कांग्रेस को दूसरे दलों से खासतौर पर बसपा से नेताओं को लाने की चाल उलटी पड़ गई और पार्टी को धराशायी होना पड़ा। बसपा के पूर्व सासंद देवराज सिंह इस दावे के साथ कांग्रेस में आए थे कि उनके पास पौने दो लाख वोटों का बैंक है। लेकिन एक फीसदी भी वोट नहीं दिला सके।
पैराशूट और सहानुभूति फार्मूला फेल रीवा में विधानसभा चुनाव में पैराशूट और लोकसभा में सहानुभूति की वैशाखी पर उतारे गए प्रत्याशी नहीं टिक सके। यहां सहानुभति के वोट जुगाडऩे का हाल यह रहा कि गुढ़ विधानसभा क्षेत्र में ही केवल 35227 वोट कांग्रेस के खाते में आए, जबकि विधानसभा में 32735 वोट मिले थे। इस विधानसभा में भाजपा को 80209 वोट मिले हैं जो सारी विधानसभाओं में सर्वाधिक वोट हैं। यहां कांग्रेस के नेताओं पूर्व मंत्री राजेन्द्र मिश्र, जिला किसान कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सुरेन्द्र पाठक, पूर्व प्रत्याशी बृजभूषण शुल सहित कई दावेदार थे।