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रीवा : तत्कालीन कलेक्टर प्रीति मैथिल व एसडीएम नीलमणि के खिलाफ आपराधिक प्रकरण् दर्ज करने की मांग, मामला चौका देगा
तत्कालीन कलेटर रीवा प्रीति मैथिल व तत्कालीन एसडीएम सिरमौर नीलमणि अग्रिहोत्री के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी रीवा की अदालत में परिवाद प्रस्तुत किया गया है। कोर्ट ने सिविल लाइन थाना पुलिस से प्रतिवेदन हेतु 28 फरवरी की तिथि मुर्करर कर दी है। मामला विधानसभा चुनाव 2018 दौरान आरटीआई कार्यकर्ता सर्वेश सोनी के खिलाफ तत्समय आचार संहिता उल्लंघन का आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने का है जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। तत्कालीन कलेटर ने फेसबुक में घिनौची धाम के लोकार्पण कार्यक्रम की फोटो अपलोड थी जिसे राजनैतिक प्रचार बताकर उक्त आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया गया था। जिसे विधि विरुद्ध व दुष्पे्ररणा से प्रभावित करार देते हुए परिवादी आरटीआई कार्यकर्ता सर्वेश सोनी द्वारा परिवाद प्रस्तुत किया गया है। इस संबंध में परिवादी के अधिवक्ता अनुराग द्विवेदी ने बताया कि परिवादी सर्वेश कुमार सोनी, ब्रांच पोस्टमास्टर पडऱी निवासी वार्ड 9 सिरमौर व ट्ररिज्म सोशल एिटविस्ट के खिलाफ 30 अटूबर को 2018 की शाम तत्कालीन अनुविभागीय दंडाधिकारी एवं रिटर्निंग ऑफिसर विधानसभा सिरमौर नीलमणि अग्निहोत्री द्वारा थाना सिरमौर में उपस्थित होकर परिवादी की फेसबुक आईडी की कवर फोटो की छायाप्रति पेश करते हुये परिवादी के विरुद्ध विधानसभा चुनाव 2018 के आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए सर्वेश सोनी के विरुद्ध धारा 188 एवं धारा 129, 134, 134, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का अपराध 167/2018 दर्ज करायी गई थी। जिसे सर्वेश द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी जिसपर हाईकोर्ट ने 17 मई 2019 को पारित आदेश एसडीएम की कार्रवाई को अप्रासंगिक बताते हुए खारिज कर दिया था। अधिवता अनुराग ने बताया कि इसके बाद परिवादी सर्वेश सेानी ने आरटीआई के तहत कलेटर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी रीवा की तत्संबंधी नोटसीट व नोट शीट प्राप्त किया।
परिवादी अधिवक्ता ने कहा कि जिस फोटो के आधार पर परिवादी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया था वह फोटो इकोटूरिज्म विभाग वन विभाग द्वारा आयोजित मनोरंजन क्षेत्र पावन घिनौची घाम के लोकार्पण कार्यक्रम सितंबर 18 की थी। जिसे राजनैतिक कार्यक्रम बताया जाकर एफआईआर दर्ज कराना परिवादी को क्षति पहुंचाने के आशय से किया गया कृत्य गभीर अपराध है। उन्होंने बताया कि सूचना अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों एफआईआर व अन्य में भी काट छांट की गई है। इससे साबित होता है कि परिवादी को फंसाने के उद्देश्य से पदीय दायित्वों को दुरुपयोग किया गया है। जिससे परिवादी को आर्थिक, सामाजिक क्षति हुई। अत: संवंधितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाना न्यायोचित है।