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रीवा: अब निगमायुक्त ने भाजपा विधायक राजेंद्र शुक्ला को भेजी 5 करोड़ की मानहानि नोटिस, मचा हड़कंप
रीवा। मध्य प्रदेश में भाजपा की शिवराज सरकार के कददावर मंत्री रहे राजेंद्र शुक्ला की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। उन पर लगातार नगर निगम आयुक्त सभाजीत यादव एक के बाद एक काउंटर अटैक कर रहे है। पहले निगमायुक्त ने गरीबों को नि: शुल्क आवास उपलब्ध कराने के मामले को लेकर 5.94 करोड़ रुपए की वसूली का नोटिस भेजा। अब जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो भाजपा नेताओं ने जबाव दिया तो मामला और बिगड़ गया। जब मीडिया के सामने कई तरह के बयान भाजपा नेताओं ने दिया तो निगमायुक्त ने 5 करोड़ के मानहानि का नोटिस भेजा है। जैसे ही नोटिस की कापी सोशल मीडिया में वायरल हुई तो लोग इसे राजनीतिक स्टंट मान रहे है। वहीं भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि निगमायुक्त बदले की भावना से कार्य कर रहे है।
क्या लिखा नोटिस में रीवा नगर निगम आयुक्त सभाजीत यादव ने वायरल पत्र में पूर्व में भाजपा की सरकार पर कई आरोप लगाए है। नोटिस में लिखा है कि सार्वजनिक रूप से सामाजिक प्रतिष्ठा को गिराने, मानसिक प्रताडऩा के साथ-साथ गरिमा को ठेस पहुंचाने का प्रयास वर्तमान रीवा के भाजपा विधायक राजेन्द्र शुक्ला द्वारा किया गया है। वह अपने पूर्ण कार्यकाल की लिखित रूप में जानकारी पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला को भेजी है। कहां है कि मेरे द्वारा पूरे कार्यकाल में किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं की गई है। बल्कि भाजपा सरकार ने अपनी छवि धूमिल होने से बचने के लिए बार-बार इस विभाग से उस विभाग पर भेजा है। राजेन्द्र शुक्ला पर आरोप लगाया कि आपके द्वारा कई बार सार्वजनिक सभा स्थलों एवं मीडिया में भी मुझे मानसिक रूप से बीमार तथा मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने जैसे शब्दों का उपयोग किया गया है। जिससे समाज और मीडिया के सामने मेरी छवि धूमिल हुई है। इसलिए मानहानि क्षति पूर्ति के लिए मुझे 5 करोड रुपए का भुगतान करें। अन्यथा मानहानि के लिए वह न्यायालय की ओर जाएंगे।
कैसे शुरू हुई लड़ाई शहर में गरीबों को नि:शुल्क मकान देने का आश्वासन देेकर भाजपा नेता पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल उस समय उलझ गए जब निगम आयुक्त सभाजीत यादव ने 5.94 करोड़ रुपए वसूली का प्रस्ताव भेजा। बताया गया कि आइएचएसडीपी योजना के तहत बनाए गए मकानों में लोगों ने इसी आश्वासन के चलते कब्जा भी कर रखा है। नगर निगम को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए अब पूर्व मंत्री को जवाबदेह ठहराया गया है। निगम आयुक्त सभाजीत यादव ने 5.94 करोड़ रुपए वसूली के लिए प्रस्ताव नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को भेजा है। चुनावी घोषणा पत्र और भाषणों में दिए गए आश्वासन को इसका आधार बनाया गया है। इसमें योजना से जुड़ी पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। बीते सात सितंबर को प्रमुख सचिव रीवा आए थे, उनसे हितग्राहियों ने शिकायत दर्ज कराई कि नि:शुल्क मकान देने की बात कही गई और अब रुपए मांगे जा रहे हैं। इसी के चलते मकानों का आवंटन रुका हुआ है।
जिम्मेदारी तय करने का निर्देश उन्होंने निगम आयुक्त को जांच कर जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया था। जिस पर आयुक्त ने पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल को ही इसका जिम्मेदार बताते हुए चार करोड़ 94 लाख 52 हजार 975 रुपए वसूली के लिए प्रस्तावित किया है। साथ ही यह भी कहा है कि चुनाव के दौरान पूर्व मंत्री शुक्ल ने कहा था कि भाजपा की सरकार बनने पर हितग्राहियों की ओर से दिया जाने वाला प्रीमियम सरकार भरेगी। किसी मंत्री द्वारा चुनावी आश्वासन पूरा नहीं करने के चलते अधिकारी द्वारा किया गया यह प्रदेश का पहला मामला माना जा रहा है। इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों द्वारा किए जा रहे झूठे आश्वासनों पर नकेल के लिए उठाया गया कदम भी बताया गया था।