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महान क्रिकेटर SACHIN TENDULKAR के साथ विज्ञापन में धूम मचा रही ये लड़की...
पन्ना। देश-दुनिया में िस्केटिंग गर्ल के रूप में पहचान बना चुकी आशा का विज्ञापन के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों से करार हुआ है। इन दिनों वह क्रिकेटर सचिन के साथ टीवी पर धूम मचा रही है। जनवार गांव की निवासी आदिवासी बेटी आशा को एक बहुराष्ट्रीय कंपनी ने विज्ञापन के लिए साइन किया है। इस विज्ञापन की शूटिंग भी हो चुकी है।
'गंगा दि रिवर ऑफ पीपुल' पर फिल्माए गए इस 2.16 मिनट के विज्ञापन में आशा को एक ऐतिहासिक स्थल पर स्केट बोर्ड पर करतब करते दिखाया गया है। जैसे ही पन्ना के जिलेवासियों को आशा की सफलता के बारे में पता चला तो सब लोग खुशी के मारे झूम उठे। आशा को सफलता का प्लेटफार्म दिलाने वाली जर्मन महिला उलरिके रेनहार्ट ने कहा है कि आशा में अभी बहुत प्रतिभा छिपी हुई है
ऐसे मिली गांव को पहचान जिले के छोटे से गांव जनवार से निकलकर विदेश पढ़ाई करने जाने वाली गांव की बेटी आशा को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने लगी है। विगत दिनों जिले की इस बिटिया को अपोलो टायर के विज्ञापन के लिए साइन किया गया था। भारत की विविधता को दर्शाते इस विज्ञापन को भारतीय संगीत पर आधारित गीत 'गंगा द रिवर आफ पीपुल' पर फिल्माया गया है।
आशा का रोल महज कुछ सेकंड का बताया गया कि 2.16 मिनट के इस वीडियो में आशा का रोल महज कुछ सेकंड का ही है। वह आधुनिक भारत में क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के साथ नजर आती है। जिसमें एक ऐतिहासिक भवन की दीवार और छत पर स्केट बोर्ड पर करतब करते उसे दिखाया गया है।
यूके से सीखी बेसिक अंग्रेजी आशा को सफलता का प्लेटफार्म दिलाने वाली जर्मन महिला उलरिके रेनहार्ट कहती हैं, आशा भविष्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाएगी। साथ ही खेलों से सामाजिक बदलाव का अनुपम उदाहरण भी पेश करेगी। वह जिले की पहली आदिवासी बिटिया है जिसने विदेश में पढ़ाई की। यूके में पांच सप्ताह रहकर बेसिक अंग्रेजी सीखा था।
किया भारत का प्रतिनिधित्व बीते साल दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता ओलंपिक में शुरू होने वाले स्केटबोर्डिंग के लिए चीन के नानजिंग शहर में हुए वल्र्ड चैंपियनशिप में उसने अरुण के साथ भारत का प्रतिनिधित्व भी किया था। फिलहाल आशा नोएडा की प्रकृति स्कूल में एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इस विज्ञापन से मिली फीस का अधिकांश हिस्सा भी उसने उसी प्रोजेक्ट पर लगा दिया है। साथ ही गांव के बच्चों के जीवन को भी संवारने का बीड़ा उठाया हुआ है।