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रीवा लोकसभा सीट में कुल 49.53% मतदान, पिछले चुनाव से 10.8 फीसदी कम

रीवा लोकसभा सीट में कुल 49.53% मतदान, पिछले चुनाव से 10.8 फीसदी कम
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रीवा संसदीय क्षेत्र में 26 अप्रैल को लोकसभा निर्वाचन के लिए कुल 49.53% मतदान हुआ है।

रीवा संसदीय सीट में दूसरे चरण यानी 26 अप्रैल को लोकसभा निर्वाचन के लिए मतदान हुआ। इस चुनाव में मतदान घटकर 49.53% रह गया है। सुबह से ही सभी बूथों में मतदाताओं की संख्या कम बनी रही। लोकसभा चुनाव 2019 में रीवा में कुल 60.33% मतदान हुआ था।

बता दें 18,52,126 में से कुल 9,17,417 मतदाताओं ने चुनाव में भाग लिया। 14 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो गया। जिसके परिणाम 4 जून को जारी किए जाएंगे। मतदान सुबह 7 बजे से शुरू हुआ, जो शाम 6 बजे तक चला। जिले भर में कुल 2014 मतदान केंद्र बनाए गए थे। जिनकी सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल की तैनाती रही। लोकसभा चुनाव के मतदान के लिए रीवा और मऊगंज जिलों के पुलिस बल के अलावा करीब तीन हजार की संख्या में पुलिस और सीआरपीएफ़ जवानों की तैनाती मतदान केन्द्रों और उसके आसपास की गई थी।

रीवा सीट में 10.8 फीसदी कम मतदान हुआ

  • लोकसभा चुनाव 2014 - 53.74%
  • लोकसभा चुनाव 2019 - 60.33%
  • लोकसभा चुनाव 2024 - 49.53%

रीवा लोकसभा सीट में विधानसभावार मतदान

विधानसभा क्रमांकविधानसभा क्षेत्र का नामकुल मतदाताअंतिम मतदानअंतिम मतदान का प्रतिशत
68सिरमौर2,22,4161,04,91247.17%
69सेमरिया2,26,8561,21,21153.43%
70त्योंथर2,18,1541,00,48046.06%
71मऊगंज2,30,0161,14,09749.60%
72देवतालाब2,46,8591,12,84645.71%
73मनगवां2,49,9631,22,89049.16%
74रीवा2,23,4621,22,48454.81%
75गुढ़2,34,4001,18,49750.55%
योग818,52,1269,17,41749.53%

क्यों कम हुआ मतदान?

26 अप्रैल को राज्य की 6 लोकसभा सीटों में मतदान हुआ था। पिछले चुनाव की तुलना में कुल मतदान में 9 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। सबसे कम मतदान रीवा लोकसभा सीट में हुआ। यहां आंकड़ा 50% भी नहीं पहुँच सका। इसकी दो मुख्य वजहें भी हैं। पहला शादी समारोह जैसे कार्यक्रम, दूसरा प्रशासन का मतदान के लिए जनता को जागरूक न कर पाना। 26 अप्रैल को व्रतबंध और शादी की सबसे अधिक लगन थी। अधिकांश लोगों ने वोट की बजाय कार्यक्रम को प्राथमिकता दी, इसकी एक वजह यह भी है कि इस दिन यात्री वाहन सड़कों से नदारद रहें। किसी तरह लोग कार्यक्रम स्थल तक तो पहुंचे, लेकिन अपने मतदान केन्द्रों तक पहुँच पाने में वे असमर्थ रहें।

राजनीतिक विश्लेषक विजयदत्त श्रीधर बताते हैं कि गर्मी और शादियों का मतदान का प्रभाव पड़ता है, क्योंकि चिलचिलाती गर्मी में लाइन में लगकर वोट डालने के लिए केवल निम्न वर्ग के लोग ही जाते हैं। उच्च वर्ग वाले सुबह-शाम लाइन देख लौट जाते हैं। दोपहर में निकलते ही नहीं। शादियों के लिए बड़ी संख्या में मतदाताओं का पलायन होता है। सबसे अहम कारण पार्टियों के कार्यकर्ताओं की उदासीनता भी है जो वोटर को बूथ तक लाने के लिए खास प्रयास नहीं कर रहे।

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