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दो दशक बाद आदिवासियों को मिला हक, खुशी का नहीं रहा ठिकाना : REWA NEWS
दो दशक बाद आदिवासियों को मिला हक, खुशी का नहीं रहा ठिकाना : REWA NEWS
रीवा (REWA NEWS) । कलेक्टर इलैयाराजा टी के निर्देशन में एसडीएम एके सिंह के मार्गदर्शन में मनगवां तहसील के मठासेगरान गांव मे 20 साल बाद 20 आदिवासियों को जमीन का कब्जा मिला इस जमीन की कब्जे पाने के लिए 20 सालों से आदिवासी परिवार भटक रहा था यहां के आदिवासी परिवार के लोगो ने प्रशासन के खिलाफ हल्ला भी बोल दिया था और 26 जनवरी को मुख्यमंत्री को घेरने लाल झंडा लेकर पैदल रीवा जा रहे थे.
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आदिवासियों के सामूहिक आवाज हल्ला बोलने के बाद प्रशासन भी जगा और उन्हें पूरी टीम मठासेगरान गांव पहुंचकर आदिवासियों को 1 हफ्ते के अंदर जमीन में कब्जा दिलाए जाने का वादा किया था इसके बाद मनगवां तहसीलदार नित्यानंद पांडेय के द्वारा जमीन का सीमांकन नामांतरण करा कर पट्टेधारी आदिवासियों को कब्जा दिलाए जाने के लिए राजस्व की एक टीम बनाकर मौके में जाकर 20 आदिवासी परिवारों को कब्जा दिलाया ।
बड़ी बात तो यह है कि तहसीलदार के द्वारा जारी किए गए आदेश में लिखा गया था कि अतिक्रमणकारियों के द्वारा बोई गई फसल को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा लेकिन इस फसल का वही व्यक्ति हकदार होगा जिनके हिस्से में जमीन का कब्जा दिया जाएगा साथ ही बने घरों को नहीं हटाया जाएगा आदिवासी परिवारों को 20 वर्षों के बाद मिले भूमि कब्जे के बाद उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है प्रति आदिवासियों को लगभग डेढ़ डेढ़ एकड़ जमीन यानी 20 आदिवासियों को 30 एकड़ के लगभग जमीन दिया गया है । इस दौरान राजस्व टीम की ओर से तहसीलदार नित्यानंद पांडे के नेतृत्व में नायब तहसीलदार पारसनाथ मिश्रा ,राजस्व निरीक्षक कमलेंद्र सिंह ,राजस्व निरीक्षक गिरीश मिश्रा, कमलाकांत पटेल सहित पुलिस बल के साथ प्रशासनिक अमला मौजूद रहा।
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ऐसा लग रहा था वर्ग संघर्ष हो जाएगा कारण की एक तरफ राजपूत परिवार था और दूसरी तरफ आदिवासी परिवार इस सरकारी जमीन पर जो कि 20 साल पहले आदिवासियों को पट्टा सरकार के द्वारा वितरित कर किया गया था इस जमीन को राजपूत परिवार वर्षों से कब्जा जमाकर खेती कर रहे थे और उस पर लाखों रुपए फसल पैदा कर रहे थे ऐसी हालत में राजपूत परिवार के लोग खेती की जमीन छोड़ने को तैयार नहीं थे.
इस बीच कलेक्टर इलैयाराजा टीके प्लानिंग अनुसार मौके में एसडीएम एके सिंह एवं तहसीलदार नित्यानंद पांडे एसडीओपी संतोष निगम सहित प्रशासनिक अमला पहुंचा और वर्षों से कब्जा किए राजपूत परिवार को दोनों भाषा में समझाइश दिया जिसके बाद राजपूत परिवार कब्जे की 40 एकड़ से अधिक जमीन छोड़ने को तैयार हो गए और मसाला का समाधान हो गया। प्रशासन नहीं राहत की सांस ली नहीं तो ऐसा लग रहा था कि दो पक्षों में वर्ग संघर्ष हो जाएगा हालांकि आज की समय आदिवासी को कब्जा दिया गया उस वक्त 2 थानों की पुलिस मौजूद रही।
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