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रीवा के अनुभव के पोस्ट ने मचाया बवाल: चाय सुट्टा बार के फाउंडर ने अपने एम्लॉईस को लेकर कह दी बड़ी बात, विवाद शुरू हो गया...

रीवा के अनुभव के पोस्ट ने मचाया बवाल: चाय सुट्टा बार के फाउंडर ने अपने एम्लॉईस को लेकर कह दी बड़ी बात, विवाद शुरू हो गया...
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चाय सुट्टा बार के फाउंडर अनुभव दुबे ने सोशल मीडिया के पोस्ट के टाइटल में कुछ ऐसा लिख दिया कि वे यूजर्स के निशाने पर आ गए।

अनुभव दुबे... एक सफल उद्यमी के अलावा मोटिवेशनल पर्सन के तौर पर जाने जाते हैं। मध्यप्रदेश के रीवा शहर के निवासी अनुभव 'चाय सुट्टा बार' के फाउंडर हैं और देश और विदेशों में उन्होने इसकी फ्रेंचाईजी खोल रखी है। अक्सर पॉइंट-टू-पॉइंट और साफ सुथरी बात करने वाले अनुभव अपनी कंपनी को कूल दिखाने के चक्कर में यूजर्स के निशाने पर आ गए।

दरअसल, अनुभव ने 27 नवंबर को माइक्रो ब्लॉगिंग साइट 'X' में एक पोस्ट शेयर किया। पोस्ट के सहारे वे अपने प्रशंसकों को मोटिवेशनल मैसेज देना चाहते थे, लेकिन उस पर जो कैप्शन उन्होने दिया... वो यूजर्स को पसंद नहीं आया। लिहाजा उनका यह पोस्ट विवादित हो गया और वे यूजर्स के निशाने पर आ गए।

अनुभव दुबे ने X में एक तस्वीर साझा की। जिसमें वे अपने कंपनी के एम्प्लॉईस के साथ कुछ डिस्कशन करते दिख रहें हैं। इसी तस्वीर के कैप्शन में उन्होने लिखा, 'हमें ऐसे कर्मचारी नहीं चाहिए जो 9 से 5 तक काम करें। नहीं... बिलकुल भी नहीं।' इसके बाद की लाइन अनुभव ने कंपनी को कूल दिखाने के चक्कर में आपत्तीजनक लिख दी, जो लोगों को पसंद नहीं आ रही है।

सोशल मीडिया में अनुभव दुबे के जबर्दस्त फ़ालोवर हैं। उनके मोटिवेशनल स्पीच को सुनते हैं, कई युवा उन्हे अपना आदर्श मानते हैं। उनके इस पोस्ट को सात लाख से अधिक लोगों ने देखा। तस्वीर के कैप्शन पर लिखी बातों को लोगों ने आड़े हाथ लिया है।

पोस्ट को लेकर मांगी माफी

पोस्ट पर विवाद होते देख और हर दूसरे प्रतिक्रिया में खुद को घिरता देख अनुभव ने एक लंबी चौड़ी पोस्ट की और यूजर्स से माफी मांगी है। अनुभव ने लिखा, "सेना से मेरा मतलब हमारी भारतीय सेना से नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आउटलेट का विस्तार करके हमारे देश को गौरवान्वित करने के लिए समर्पित रूप से काम करने वाले पेशेवरों का एक समूह है, क्योंकि हम 2020 से पहले से ही विदेशों में अपने आउटलेट का विस्तार कर रहे हैं। सेना शब्द से, मैं चाहता था अपने लोगों में जोश भरने के लिए, क्योंकि हम सभी अपनी भारतीय सेना से प्यार करते हैं। इतना ही! इसके अतिरिक्त, हम अपने नारे, "जो भी चाय पिएगा, हमारे देश की मिट्टी खोदेगा" के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। जैसे हम कुल्हड़ (मिट्टी के कप) में चाय परोसते हैं।

"हम 9 से 5 बजे तक काम करने वाले कार्यालय कर्मचारियों की तलाश नहीं कर रहे हैं।" मैंने हमेशा कर्मचारियों की भलाई की वकालत की है और 70 घंटे की कार्य संस्कृति के खिलाफ मजबूती से खड़ा रहा हूं। (आप मेरा साक्षात्कार नेटवर्क 18 और मेरे द्वारा दिए गए अन्य सभी पॉडकास्ट और साक्षात्कार पर देख सकते हैं।) ऊपर से मेरा मतलब यह है कि हमें ऐसे लोग नहीं चाहिए जो कुर्सियों से चिपके रहते हैं और मशीनों की तरह काम करते हैं, बल्कि उत्साही लोग चाहते हैं। जब से मैंने 'नो रूल्स, रूल्स' पढ़ा है तब से मैंने हमेशा नेटफ्लिक्स की संस्कृति का निर्माण करने की कोशिश की है और तब से मैंने कई लोगों को इसकी सिफारिश की है। मेरी टीम मेरी और हमारी कंपनी की ताकत है। और मुझे उन पर बहुत गर्व है।

अनुभव दुबे ने आगे लिखा, "चाय बेचना कोई बड़ी बात नहीं है।" हाँ, हम चाय बेचते हैं। प्रतिदिन करीब पांच लाख कप, जो हजारों मौसमी नियोजित कुम्हारों और कार्यालयों में काम करने वाले सैकड़ों पेशेवरों के लिए रोजगार पैदा करता है। हमने दुबई, नेपाल और ओमान में आउटलेट खोले हैं और कनाडा, अमेरिका और यूके में खोलने वाले हैं, जिनकी चायपाती और कुल्हड़ भारतीय हैं। अब "एफ" शब्द के बारे में। मैंने कभी कूटनीतिक भूमिका नहीं निभाई। मैंने जो सोचा वह लिखा, और मैंने उस लहजे में लिखा जिसमें हम सभी युवा एक-दूसरे के साथ सामान्य रूप से बात करते हैं। कृपया सन्दर्भ को समझें। (भाव को समझें)

मुझे इतना प्यार और सम्मान मिला, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी और मैं हमेशा आभारी हूं।' मैं इस पूरी दुनिया में कभी किसी को ठेस नहीं पहुँचाना चाहता। फिर भी अगर मैंने किसी को ठेस पहुंचाई हो तो मैं इसके लिए माफी मांगता हूं और अब से अपने शब्दों का चयन करते समय अधिक सतर्क रहूंगा...धन्यवाद!"

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