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रीवा: देवतालाब मंदिर में भक्तों के लिए अजीब फरमान, अब ऐसे लोगों को नहीं मिलेगा प्रवेश

रीवा: देवतालाब मंदिर में भक्तों के लिए अजीब फरमान, अब ऐसे लोगों को नहीं मिलेगा प्रवेश
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रीवा के देवतालाब शिव मंदिर (Rewa's Devtalab temple) में भोले बाबा के दर्शन करने के लिए अब निर्धारित परिधान पहने पर ही एंट्री मिलेगी

Rewa: मध्य प्रदेश के रीवा जले में देवतालाब स्थित प्रसिद्ध देवतालाब मंदिर आने वाले भक्तों के लिए मंदिर समिति ने अजीब फरमान जारी किया है। समिति ने ड्रेस कोड लागू करते हुए निणर्य लिया है कि अगर कोई भक्त जीन्स पैंट पहने एवं बेल्ट लगाए हुए है तो उक्त भक्त को मंदिर के अंदर यानि की ग्रर्भग्रह में प्रवेश नही दिया जाएगा और वह सिर्फ बाहर से ही पूजा-अर्चना कर पाएगा। इस निणर्य के बाद खासतौर से युवा भक्तों को अब समस्या आ सकती है।

देवतालब मंदिर में जींस पर प्रतिबंध

मंदिर समिति के निणर्य की जानकारी देते हुए विधानसभा अध्यक्ष गिरिश गौतम ने मीडिया को बताया कि मंदिर के गर्भग्रह में प्रवेश करने वाले भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया है। यानि किदेवतालाब पुरूष धोती-कुर्त्ता एवं महिलाएं साड़ी पहन कर मंदिर के गर्भग्रह में प्रवेश कर सकेंगी। उन्होने कंहा कि यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा है और पूजा-पाठ के हिसाब से इसे उत्तम माना गया है। मंदिर में इस व्यावस्था से लोग दर्शन के लिए पहुंचेंगे तो इससे आस्था एवं पूजा-अर्चना को लेकर अलग ही माहौल नजर आएगा।

महाशिवरात्रि में हो आयोजन

श्री गौतम ने बताया कि अन्य प्रसिद्ध मंदिरों की तरह देवतालाब के शिव मंदिर में भी प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि पर्व पर तीन दिवसीय आयोजन किए जाने के लिए समिति ने प्रस्ताव रखा है, और इस पर चर्चा की जा रही है। जिससे दूर दराज से आने वाले भक्तों को इस तीर्थ स्थल की जानकारी हो सकें।

हटेगा अतिक्रमण

विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि मंदिर परिक्षेत्र में जो भी अतिक्रमण है, उससे जरूरत के हिसाब से हटाया जाएगा। जिससे इस परिक्षेत्र को सुव्यवस्थित और सुंदर बनाया जा सकें। वहीं परिसर में धर्मशाला का निर्माण किया जा रहा है जिसमें आने वाले भक्तों को ठरहने की सुविधा मिलेगी, मंदिर समिति ने कई अन्य महत्वपूर्ण निणर्य भी लिए है जिसमें मंदिर का विकास किया जा सके.

शिव के विशेष पर्व पर होती है भक्तों की भीड़

ज्ञात हो देश के अन्य हिन्दू तीर्थ स्थलो की तरह ही देवतालाब के भोले बाबा की महिमा है सर्वव्याप्त है. यही वजह है कि मलमास हो या फिर सावन महीना, महाशिवरात्रि हो या फिर भोले नाथ के विशेष दिवस, यहां हजारों की सख्या में भक्त पहुंचते हैं । तो वहीं सैकड़ों गांव के भक्त अपनी मान मनौती पूरी करने के साथ ही बच्चों के मुडन-कन्छेदन एवं भंडारे आदि के कार्यक्रम भी करते है।

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