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खुशखबरी: रीवा में जल्द खुलेगा संस्कृत विश्वविद्यालय, काशी के समान संस्कृत शिक्षा का केंद्र रहा विंध्य

खुशखबरी: रीवा में जल्द खुलेगा संस्कृत विश्वविद्यालय, काशी के समान संस्कृत शिक्षा का केंद्र रहा विंध्य
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रीवा में संस्कृत विश्व विद्यालय खोलने की घोषणा की थी

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रीवा में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा की थी, रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने उच्च शिक्षा विभाग को लिखा पत्र

Sanskrit University In Rewa: विध्य के हृदयस्थल रीवा में अब संस्कृत विश्वविद्यालय खुलने की उम्मीद जगी है. विगत 10 अगस्त को रीवा प्रवास पर रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बावत घोषणा की है. जिले में संस्कृत विश्वविद्यालय की मांग प्रांतीय संस्कृत परिषद ने उठाई, जिस पर सहमति देते हुए मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की थी. अब मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल करने जिला कलेक्टर प्रतिभा पाल ने उच्च शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है, जिसमें आवश्यक कार्यवाही करने के लिए कहा गया है.

गौरतलब है कि इसके पहले विगत मार्च महीने में मप्र विधानसभा में इस बाबत अशासकीय संकल्प प्रस्तुत हुआ है. पूर्व मंत्री व रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ला ने इस आशय का अशासकीय संकल्प विधानसभा पटल पर रखा था उस समय भी विभाग ने आवश्यक जानकारी एडी रीवा से प्राप्त की थी लेकिन अभी तक कार्यवाही नहीं हुई. लिहाजा प्रांतीय संस्कृत परिषद ने मुख्यमंत्री के रीवा आगमन के दौरान पुनः ज्ञापन सौंपा. प्रांतीय संस्कृत परिषद ने मुख्यमंत्री को सौंप ज्ञापन में बताया कि उत्तरप्रदेश के वाराणसी और प्रयागराज की सीमा से लगा विन्ध्यक्षेत्र संस्कृत शिक्षा अध्ययन का पुरातन केन्द्र रहा है. संस्कृत की शिक्षा ग्रहण करने एवं उसके माध्यम से सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करने के साथ ही जीविकोपार्जन का बढ़ा साधन रहा है आज भी विन्ध्य क्षेत्र एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में 14 संस्कृत महाविद्यालय एवं 54 संस्कृत विद्यालय संचालित हैं, जहां हजारों की संख्या में छात्र अध्ययन कर रहे हैं. अतः क्षेत्रीय मांग, आवश्यकता और जनभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए रीवा में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना औचित्यपूर्ण प्रतीत होती है.

सन 1845 में हुई थी स्थापना

संस्कृत विद्वान मानते हैं कि लक्ष्मणबाग संस्थान स्वयं में एक विश्वविद्यालय की अधोसंरचना है. संस्थान के पास लक्ष्मणबाग की 57 एकड़ भूमि है. शहर के अन्य स्थानों को भी मिला दें तो 100 एकड़ जमीन यहाँ उपलब्ध है. रीवा और शहडोल संभाग में कुल 625 एकड़ भूमि है. प्रदेश व देश के अन्य धार्मिक स्थल बालाजी, पुरी, बनारस गया आदि शब्दों में लक्ष्मण संस्थान की भूमि है. पूर्वकाल में यहाँ मंदिरों धर्मशालाओं में संस्कृत शिक्षा के अध्ययन केन्द्र अस्तित्व में रहे हैं. इस लक्ष्मणबाग संस्थान की भूमि पर 1845 में संस्कृत विद्यालय की स्थापना तत्कालीन बोल शासक ने कराई थी, जिसे 1955 में महाविद्यालय का स्वरूप मिला यह महाविद्यालय पिछले 20 वर्षों से अत्यंत दुर्दशा का शिकार है. सम्भावना जताई जा रही है कि इसी महाविद्यालय की भूमि भवन में संस्कृत विश्वविद्यालय की अवधारणा का पल्लवित किया जायेगा.

वर्ष 2008 के उपरांत बदल गई स्थिति

है कि वर्ष 2008 के पूर्व तक समूचे माटाप्रदेश के संस्कृत महाविद्यालये अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध थे. परीक्षाओं का यहीं से संचालन होता था. प्रथमा-मध्यमा की परीक्षाएं संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण कार्यालय से नियंत्रित व संचालित होती थीं. फिर वर्ष 2008 में उज्जैन के पाणिन विश्वविद्यालय की स्थापना हो गई. परिणामतः रीवा विश्वविद्यालय से संस्कृत पाठ्यक्रमों की परीक्षा कराने का अधिकार छिन गया.

काशी के समान संस्कृत शिक्षा का केंद्र रहा रीवा

विश्व के संस्कृत विद्वान बताते हैं कि उत्तरभारत में काशी के बाद विनय क्षेत्र संस्कृत शिक्षा का प्रमुख केन्द्र रहा है. तब लक्ष्मणबाग संस्थान के संस्कृत शिक्षा केन्द्र को मिनी काशी का दर्जा प्राप्त था. लक्ष्मणबाग संस्थान से शिक्षित व दीक्षित लेकर निकले छात्र आज भी देश के प्रमुख मठ मंदिरों में पीठाधीश्वर महंत व आचार्य के पदों को सुशोभित करते हुए सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार कर रहे हैं.

कई वर्षों से उठ रहीं मांग

बता दें कि विन्ध्यक्षेत्र के संस्कृत विद्वानों व विशेषज्ञों के प्रतिनिधि मंडल ने समय-समय पर हर स्तर पर ज्ञापन पत्र के जरिये रीवा के संस्कृत संस्थान के उत्थान हेतु आवाज उठाई. निरंतर संस्कृत विद्वानों द्वारा रीवा विधायक व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को रीवा में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु ज्ञापन सौंपे, जिस पर अब मुख्यमंत्री के मुख से उक्त उवाच निकले हैं.

Aaryan Puneet Dwivedi | रीवा रियासत

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