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कलेक्टर बसंत कुर्रे ने जिला स्तरीय सुपोषण अभियान की समीक्षा के दौरान गंभीर नाराजगी व्यक्त की कि जिले में तीन माह पूर्व से अतिकुपोषित 2400 बच्चों के पोषण में कोई सुधार नहीं हुआ। शासन के निर्देश के अनुसार उन्हें महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा थर्ड मील देना सुनिश्चित नही किया जा रहा है। आंगनवाड़ियों में बच्चों की उपस्थिति बहुत कम रहती है। केन्द्र में सुपरवाइजर एवं सीडीपीओ द्वारा निर्धारित निरीक्षण नहीं किया जा रहा है। बैठक में जिला पंचायत सीईओ, महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती प्रतिभा पाण्डेय, सहायक संचालक आशीष द्विवेदी, सीडीपीओ एवं सुपरवाइजर उपस्थित थीं।
कलेक्टर ने कहा कि सीडीपिओ एवं सुपरवाइजर अभियान के तौर पर नियमित रूप से निरीक्षण कर आंगनवाड़ी केन्द्रों में कार्यकर्ताओं की उपस्थिति सुनिश्चित करें तथा बच्चों को थर्ड मील दिया जाना निश्चित किया जाय। बताया गया कि डब्ल्यूएचओ के निर्देश पर बच्चों की ऊचाई एवं वजन नापकर पोषण का चिन्हांकन किया जा रहा है। अब तक 2 लाख 15 हजार बच्चों में से 2 लाख बच्चों का वजन एवं ऊंचाई ली जा चुकी है। एक लाख 73 हजार 672 बच्चों में से 19 हजार 720 बच्चे कुपोषित एवं 2010 बच्चे अतिगंभीर कुपोषित चिन्हांकित किये गये हैं। अति कम वजन के चिन्हित बच्चों को एएनएम द्वारा भूख का परीक्षण करना है। केन्द्र में बच्चों को थर्ड मील वितरित किया जाता है इसमें सुबह का नास्ता, टीएचआर और बाल आहार के रूप में खिचड़ी तथा हलुआ दिया जाता है। तीन वर्ष से कम बच्चों को टीएचआर दिया जाता है। कलेक्टर श्री कुर्रे ने इस बात पर गंभीर नाराजगी व्यक्त की कि पिछले तीन माहों से 2400 कुपोषित बच्चों की संख्या बनी हुई है उनके पोषण में किसी प्रकार का कोई सुधार नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में भ्रमण के दौरान आंगनवाड़ी केन्द्र में कोई अधिकारी नही मिलता। केन्द्रों में पंजीकृत बच्चे नहीं आते। कलेक्टर ने निर्देश दिये कि गंभीर कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया जाय। मध्यम कुपोषित 19 हजार बच्चों के पोषण की ओर गंभीरता पूर्वक ध्यान दिया जाय। उन्होंने कहा कि गंगेव में बच्चों को नास्ता एवं खाना नहीं मिल रहा, गंगेव-2 में समूह की लापरवाही से थर्ड मील नही दिया जा रहा, जवा में समूह की लापरवाही से खाद्यान्न ही नहीं उठाया गया, रीवा-2 में खाना दे रहे हैं लेकिन नास्ता नहीं दे रहे। बताया गया कि सुपरवाइजर की लापरवाही के कारण 24 सुपरवाइजरों की फरवरी माह की वेतन रोक दी गयी है। जिला स्तरीय टास्क फोर्स एवं बेटी बचाओ अभियान के प्रगति की समीक्षा के दौरान कलेक्टर ने कहा कि जिले का लिंगानुपात लगातार कम हो रहा है। विगत वर्ष लिंगानुपात 934 था जो घटकर 922 हो गया। लिंगानुपात बढ़ाने का हर संभव प्रयास किया जाय। उन्होंने कहा कि हनुमना में 2016-17 में लिंगानुपात 876 था 2017-18 में 943 हो गया एवं 2018-19 में घटकर 908 हो गया, वर्ष 2019-20 में जनवरी माह तक यह और घटकर 899 हो गया। यह गंभीर स्थिति है इसकी ओर विशेष ध्यान देकर आंगनवाड़ी केन्द्रों में गर्भवती माताओं का अनिवार्य रूप से पंजीयन किया जाय। सोनोग्राफी सेंटर की अचानक जाकर समिति जांच करे। गर्भवती माताओं का पंजीयन केवल 60 प्रतिशत है इसे बढ़ाकर शत प्रतिशत किया जाय। महिलाओं की काउंसलिंग करके गर्भावस्था के पहले तीन माह के अंदर उनका पंजीयन करे। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं एवं एएनएम डोर-टू-डोर सर्वे करें। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दे।
जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कलेक्टर बसंत कुर्रे ने निर्देश दिये कि बाल गृह, सम्प्रेक्षण गृह में रह रहे बच्चों की प्राथमिकता के आधार पर देखभाल की जाय। बाल गृह के बच्चों का कौशल उन्नयन करने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाय। 6 वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षित करने के लिए उन्हें स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाय। उनका आधार कार्ड एवं अन्य अभिलेख बनवाने की कोशिश की जाय।
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अनेक कार्यक्रम आयोजित होंगे:- जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती प्रतिभा पाण्डेय ने बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 8 मार्च को ऐसी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को सम्मानित किया जायेगा। जिन्होंने विषम परिस्थितियों में अपनी बेटियों के भविष्य का निर्माण किया है। बालिकाओं की मोटर साइकिल एवं स्कूटी रैली निकाली जायेगी। दिव्यांग बालिकाओं की खेल-कूद प्रतियोगिता एवं डांस प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। बघेली व्यंजन एवं बघेली लोक गायन कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।