रीवा

Rewa Tourism: योगिनी माता मंदिर रॉक आर्ट्स साइट्स की हुई नाप-जोख, संरक्षण के लिए DPR तैयार कर सरकार को भेजा जाएगा

Rewa Tourism: योगिनी माता मंदिर रॉक आर्ट्स साइट्स की हुई नाप-जोख, संरक्षण के लिए DPR तैयार कर सरकार को भेजा जाएगा
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Rewa Sirmaur Yogini Mata Temple Rock Arts Sites: मध्य प्रदेश रीवा के सिरमौर के जंगलों में आदिकाल के शैलचित्र हैं जिनके अब संरक्षित होने की उम्मीद जगी है

Rewa Tourism: मध्य प्रदेश के रीवा जिले में सिरमौर के जंगलों में एक प्राचीन धार्मिक स्थान है "योगिनी माता मंदिर'' जहां आदिकाल यानी जब आदिमानव होते थे उस वक़्त के कई शैलचित्र (Rock Painting) मौजूद हैं. जिन्हे बड़ी-बड़ी चट्टानों में खुद आदिमानवों द्वारा उकेरा गया था. भोपाल के निकट UNESCO द्वारा विश्वधरोहर घोषित भीम बैठका में भी ऐसे ही प्राचीन काल की रॉक पेंटिंग साइट्स हैं.


गुरुवार को पुरातत्व सर्वेक्षण और संरक्षण जबलपुर मंडल की टीम सिरमौर के योगिनी माता मंदिर और यहां मौजूद रॉक आर्ट्स साइट्स में पहुंची। इससे पहले भी कई बार पुरातत्व विभाग की टीम यहां आई थी लेकिन तब सिर्फ हवाबाज़ी करके निकल गई थी. मगर अब ऐसी उम्मीद है कि रीवा के प्राचीन इतिहास की याद दिलाने वाली इन रॉक पेंटिंग्स को संरक्षित कर दिया जाएगा।

योगिनी माता शैलचित्र क्षेत्र की नाप-जोख हुई

पुरातत्व टीम के एक्सपर्ट्स ने यहां आकर नापजोख की और बताया कि एक हफ्ते के भीतर वह इस एरिया के डेवलपमेन्ट और संरक्षण के लिए विस्तृत्त प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार करके शासन को भेजेंगे। DPR स्वीकृत होने के बाद यहां विकास कार्य और उससे भी ज़्यादा जरूरी प्राचीन काल की आदिमानवों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स को संरक्षित किया जाएगा।

2014 में हुई थी खोज

वैसे तो सिरमौर के योगिनी माता मंदिर के करीब बड़ी-बड़ी चट्टानों में बनी इन आदिकाल की पेंटिंग्स का वजूद हम आधुनिक मानवों के वजूद से भी पुराना है लेकिन यह शैलचित्र सिरमौर के घने जंगलों के बीच गुम हो गए थे. यहां के टूरिज्म एक्टिविट्स सर्वेश सोनी ने योगिनी माता मंदिर के शैलचित्रों की खोज की थी और इसकी जानकारी पुरातत्व विभाग और सरकार तक पहुंचाई थी. सर्वेश ने इसके साथ पावन घिनौची धाम, टोंस वाटरफॉल और आल्हा घाट की गुफाओं और यहां मौजूद आदिकाल सभ्यता की चट्टानों में उकेरी गई लिपियों की भी खोज की थी.


साल 2014 से ही टूरिज्म एक्टिविट्स ने इन क्षेत्रों के संरक्षण और डेवलपमेन्ट के लिए वन विभाग, पुरातत्व विभाग, पर्यटन विभाग को जानकारी भेजना शुरू कर दिया था. कई साल की कोशिशों के बाद अब जाकर पुरातत्व विभाग की वह टीम वापस सर्वे करने पहुंची है जो आज से 7 साल पहले यहां सर्वे करने के लिए आई थी और बीते वर्षों से गायब रही थी.

डेवलपमेन्ट से जरूरी संरक्षण

योगिनी माता मंदिर जंगलों के बीच में बसा हुआ है, ऐसे में यहां डेवलपमेन्ट करने से यहां की खूबसूरती खत्म हो जाएगी,, जंगल में सड़क और ट्रैक बन जाए तो शहर और वन में क्या अंतर होगा? इसी लिए सिरमौर के जंगलों के शैलचित्रों वाली जगह को विकास से ज़्यादा संरक्षण की जरूरत है. ताकि लोग इन प्रागैतिहासिक काल के शैलचित्रों के साथ छेड़छाड़ ना करें।

क्या है योगिनी माता मंदिर के शैलचित्रों के बारे में अधिक जानने के लिए हमारा स्पेशल आर्टिकल पढ़ें :- यहां क्लिक करें और जादू देखें

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