रीवा

Rewa Tourism: फाइनली योगिनी माता मंदिर और शैल चित्रों के संरक्षण के लिए सरकार मान गई

Rewa Tourism: फाइनली योगिनी माता मंदिर और शैल चित्रों के संरक्षण के लिए सरकार मान गई
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Yogini Mata temple and rock paintings Rewa: सरकार ने प्राचीन योगिनी माता मंदिर और यहां मौजूद पाषाण युग के शैल चित्रों के संरक्षण के लिए राशि को मंजूरी दे दी है

Rewa Tourism: मध्य प्रदेश के रीवा जिले में मौजूद सिरमौर वन परिक्षेत्र में स्थापित है प्राचीन योगिनी माता मंदिर (Yogini Mata Temple) और यहीं आदिमानवों द्वारा चट्टानों में उकेरे गए शैलचित्र भी हैं (Rock Paintings Of Yogini Mata Mandir) जैसे भीम बैठका में हैं ठीक वैसे ही. यह शैलचित्र शायद 10 हज़ार साल से भी पुराने हैं यानी महाभारत-रामायण युग से भी पुराने, लेकिन अन्य सांस्कृतिक और प्राचीन धरोहरों की तरह इन्हे सरकार, पर्यटन विभाग और पुरातत्व विभाग ने संरक्षित नहीं किया था.


लेकिन अब RewaRiyasat.com और टूरिज्म एक्टिविट्स सर्वेश सोनी (Sarvesh Soni) की मेहनत रंग लाई है. अथक प्रयासों और ढेरों लेख छापने के बाद सरकार को योगिनी माता मंदिर और यहां के पुराप्राचीन काल के शैलचित्रों की अहमित समझ में आई है. इसी लिए सरकार ने इन्हे संरक्षित करने के लिए 8 लाख 32 हज़ार 584 रुपए ग्रांट कर दिए हैं.

योगिनी माता मंदिर और शैलचित्र संरक्षित होंगे

वैसे तो यह शैलचित्र हमारे-आपके इतिहास से भी पुराने हैं मगर यह दुनिया के सामने 2014 में ही आए थे. तभी से सर्वेश सोनी ने इन्हे संरक्षित करने और दुनिया को इसके बारे में बताने की मोहीम छेड़ दी थी. इसके बाद पहली बार जुलाई 2015 में पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम यहां सर्वे करने के लिए आई थी और वर्ष 2016-17 में संस्कृति विभाग मप्र शासन ने अधिसूचना जारी करते हुए योगिनी माता मंदिर रॉक आर्ट साइट्स को राज्य संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया था. वो बात अलग है कि इसे संरक्षित नहीं किया गया.



इस दौरान सर्वे टीम इन शैलचित्रों को भूल गई, लेकिन इसी साल फिर से जबलपुर पुरातत्व विभाग की टीम सर्वे करने के लिए आई और नापजोख लेने के बाद डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट सरकार के सामने पेश की गई. अब जाकर मध्य प्रदेश सरकार ने रीवा के प्राचीन इतिहास से जुडी धरोहर को संरक्षित करने के लिए बजट पास किया है.

योगिनी माता मंदिर और शैलचित्र क्या है, कहां है?

रीवा जिले की सिरमौर तहसील के अंतर्गत योगिनी माता स्थल में प्री हिस्टोरिकल रॉक आर्ट पेंटिंग्स की श्रंखलाएं हैं , जिनकी रीवा जिला मुख्यालय से दूरी लगभग 45 किलोमीटर है, योगिनी माता स्थित शैलाश्रयों में तीन शैलाश्रयों में शैल चित्र विद्यमान हैं. सभी शैलाश्रय आकार में काफी बड़े है जिसमें मुख्यतः मानव एवं जानवरों की आकृतियाँ चित्रित की गयीं हैं, जिसमे धनुष बाण संधान करते हुए मानव, नृत्यरत मानव, हाथी, घोडा, सर्प आदि प्रमुख हैं, इन्हें लाल गेरू तंग से चित्रित किया गया है जो की प्रागैतिहासिक कालीन हैं, योगिनी माता स्थित शैल चित्रों का पुरातत्वीय महत्त्व : योगिनी माता की दुर्लभ प्रागैतिहासिक शैल चित्र श्रंखलाओं के मध्य ही योगिनी माता की पाषाणकालीन प्रतिमा विद्यमान है, जिससे इस क्षेत्र का नाम योगिनी माता है.

योगिनी माता के चित्रित शैलाश्रय पुरातत्वीय द्रष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, इन शैलाश्रयों में बने प्रागैतिहासिक कालीन शैल चित्र प्रागैतिहासिक मानव की कलात्मक अभिरूचि को प्रदर्शित करती हैं, चित्रों को रेखाओं द्वारा निर्मित न करते हुए शारीरिक संरचना का आकार दिया गया है तथा आयताकार एवं चौकोर जानवरों की आकृतियों ने बीच के भाग को गाढ़े रंग से भरा है जो प्रागैतिहासिक मानव की उत्कृष्ट कला के प्रमाण हैं तथा प्रागैतिहासिक कला के द्वितीय चरण का प्रतिनिधित्व करते हैं.

वन विभाग की मेहरबानी से यहां जाने के लिए सड़क नहीं है

गौरतलब है कि योगिनी माता मंदिर रॉक आर्ट साइट रीवा डभौरा नेशनल हाइवे से लगभग 3 किलोमीटर अंदर घने जंगल मे स्थित है, जिसमे 1.5 किलोमीटर पहुंच मार्ग को सुगम करने की आवश्यकता है जिससे पर्यटकों शोधकर्ताओं को पहुंचने में आसानी हो सके। इस हेतु पुरातत्व विभाग ने नाप जोख पश्चात अगस्त माह में ही डीएफओ रीवा को पत्र लिख कर पहुंच मार्ग सुगम करने हेतु कहा गया था। दुर्भाग्यपूर्ण है कि मप्र शासन द्वारा संरक्षित स्मारक होने बाद भी वन विभाग ने उक्त पत्र को गंभीरता से नहीं लिया और अब तक पहुंच मार्ग सुगम करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई ।

योगिनी माता मंदिर और यहां के शैलचित्रों के बारे में जानने के लिए हमारा स्पेशल आर्टिकल पढ़ें, यहां क्लिक करें

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