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रीवा: नौकरी छोड़ शुरू किया शहद का व्यवसाय, कमा रहे प्रतिवर्ष 14 लाख

रीवा: नौकरी छोड़ शुरू किया शहद का व्यवसाय, कमा रहे प्रतिवर्ष 14 लाख
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रीवा: नौकरी की सीमित आय को छोड़ कर खुद का व्यवसाय करने वाले अरूण प्रतिवर्ष 14 लाख रूपए कमा रहे हैं।

रीवा: नौकरी की सीमित आय को छोड़ कर खुद का व्यवसाय करने वाले अरूण प्रतिवर्ष 14 लाख रूपए कमा रहे हैं। यह आमदनी अरूण को शहद के व्यवसाय से हो रही है। यह कहानी है जिले के बैकुण्ठपुर के पिपरी गांव के निवासी अरूण द्विवेदी की। राह में कई परेशानी आई। लोगों ने खुद के शहद के व्यवसाय को गलत बताते हुए कई नकरात्मक बातें भी कही। लेकिन अरूण ने सबकी बातों को नजरअंदाज करते हुए अपने दिल की बात सुनी। आज स्थिति यह है कि जो लोग अरूण को गलत बताते थे वह आज खुद ही उनसे सलाह लेने आते हैं।

14 वर्ष तक की प्राइवेट जॉब

अरूण ने बताया कि यूपी के जौनपुर में वह एक निजी कंपनी में काम करते थे। 14 वर्ष तक उन्होने प्राइवेट जॉब की। लेकिन नौकरी से इतने पैसे नहीं मिल पाते थे कि वह अपना और अपने परिवार का सही तरीके से भरण-पोषण कर सके। लेकिन 2017 में उनके जीवन में एक टर्निंग प्वाइंट आया और उन्होने अपना खुद का व्यवसाय करने की सोची, और उनकी जिले में अब शहद व्यवसायी के रूप में अलग पहचान है।

कैसे की शुरूआत

बताया गया है कि 2017 में रीवा आने के बाद वह कृषि विज्ञान केन्द्र रीवा के संपर्क में आए। यहां उन्होने मधुमक्खि पालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होने मधुमक्खि पालन की तरफ अपना कदम बढ़ाना शुरू कर दिया।

बना रखे हैं 165 बॉक्स

अरूण ने बताया कि उसने 2017 में केवल 30 बॉक्स से मधुमक्खि पालन की शुरूआत की थी। वर्तमान समय के हालात यह है कि वह 165 बॉक्स में मधुमक्खि पालन कर रहे हैं। अरूण की योजना आगामी वर्षों में बॉक्स की संख्या बढ़ाकर उसे 250 तक करने की है।

परागण के लिए जाते हैं यूपी

शहद बनाने के लिए सबसे जरूरी होता है परागण। परागण के लिए अरूण मधुमक्खियों के बॉक्स को यूपी के फतेहपुर, दमोह सहित अन्य स्थानों में ले जाते हैं। बताते हैं कि परागण के बाद खेती की उत्पादन क्षमता में भी काफी बढ़ोत्तरी हो जाती है।

प्रशासन के सहयोग से शुरू किया खुद का प्लांट

अपने व्यवसाय को आंगे बढ़ाने के लिए अरूण का सहयोग प्रशासन द्वारा भी किया गया। बताते हैं कि प्रशासन के सहयो से उद्यानिकी विभाग द्वारा उन्हें 17 लाख रूपए का लोन दिया गया है। इस लोन की मदद से उन्होने खुद का प्लांट भी शुरू कर दिया है। अरूण का कहना है कि रीवा जिला किसी भी मामले में कम नहीं है। मै चाहता हूं कि शहद के मामले में रीवा जिला प्रदेश ही नहीं देश में अपनी एक अलग पहचान बनाए। मैं इसी दिशा में प्रयास कर रहा हूं।

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