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रीवा तालाब हादसा: 62 मौतों के 19 साल बाद कोर्ट का फैसला, कोई दोषी नहीं पाया गया

रीवा तालाब हादसा: 62 मौतों के 19 साल बाद कोर्ट का फैसला, कोई दोषी नहीं पाया गया
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रीवा के गोविंदगढ़ तालाब हादसे में 2006 को 62 लोगों की मौत हो गई थी। 19 साल चली कोर्ट की सुनवाई के बाद अब फैसला आया है, जिसमें किसी को दोषी नहीं ठहराया गया। परिजन आज भी पूछ रहे हैं सवाल — आखिर 62 जानों का जिम्मेदार कौन?

🟦 2006 Govindgarh Talab Hadsa In Rewa: कब और कैसे हुआ था यह दर्दनाक मामला?

यह भीषण हादसा अक्टूबर 2006 में धनतेरस के दिन हुआ था, जब रीवा से झिन्ना जा रही एक ओवरलोडेड बस गोविंदगढ़ तालाब में समा गई। इस बस में 65 लोग सवार थे, जिनमें से केवल 3 ही बच पाए — ड्राइवर, कंडक्टर और एक यात्री। 62 लोगों की दर्दनाक मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया।

🟧 तालाब की गहराई और प्रशासनिक चूक बनी हादसे की वजह

रीवा से 20 किलोमीटर दूर स्थित गोविंदगढ़ तालाब मध्य प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा तालाब माना जाता है। यह तालाब बघेल राजाओं के समय का है, जिसे पानी की किल्लत से बचने के लिए बनवाया गया था। दुर्घटना के समय बस क्षमता से अधिक भरी हुई थी और तालाब के पास की सड़क संकरी व खतरनाक थी, जहाँ कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं थे।

🟪 24 घंटे चली रेस्क्यू ऑपरेशन, लेकिन नहीं बच सकी एक भी जान

घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन ने आईजी, डीआईजी, कलेक्टर सहित पूरा अमला मौके पर भेजा। दिनभर चली तलाश के बाद भी बस नहीं मिली। दूसरे दिन बड़ी मशक्कत के बाद बस को तालाब से बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

🟥 19 साल बाद आया कोर्ट का फैसला: कोई दोषी नहीं

इस दर्दनाक हादसे में कोर्ट में 19 साल तक सुनवाई चली। अंततः कोर्ट ने बस मालिक अजय प्रताप सिंह, ड्राइवर और कंडक्टर को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मौतें दुर्भाग्यपूर्ण थीं, लेकिन इसमें अभियुक्तों की सीधी गलती साबित नहीं हो सकी।

🟨 अब भी थाने में खड़ी है वह बस, बनी स्मृति

घटना के बाद वह बस गोविंदगढ़ थाने में लाकर खड़ी कर दी गई थी और आज भी वहीं मौजूद है। घटना स्थल पर एक स्मारक भी बनाया गया है, जिसमें सभी 62 मृतकों के नाम अंकित हैं।

🟦 परिजनों की पीड़ा: कौन है 62 जानों का जिम्मेदार?

हालाँकि कोर्ट ने फैसला सुना दिया, लेकिन जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया, उनके लिए यह दर्द कभी खत्म नहीं हुआ। आज भी लोग पूछते हैं — अगर किसी की गलती नहीं थी, तो 62 लोगों की जान कैसे गई?

🟦 वकील का पक्ष: गलती व्यक्ति की नहीं, व्यवस्था की थी

बचाव पक्ष के वकील राजीव सिंह शेरा ने कोर्ट में दलील दी कि हादसा दुर्भाग्यपूर्ण जरूर था, लेकिन उनके मुवक्किल — बस मालिक, ड्राइवर और कंडक्टर — की इसमें कोई प्रत्यक्ष लापरवाही साबित नहीं हुई। उन्होंने बताया कि तालाब के किनारे की सड़क बेहद जर्जर स्थिति में थी और वहां किसी भी तरह की सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। यही कारण इस भीषण हादसे की जड़ बना।

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