रीवा

चाय की चुस्की बढ़ा रही कैंसर का खतरा: रीवा में रोजाना 3 लाख पेपर कप की खपत, IIT खड़गपुर के शोध ने खोला बड़ा राज़ – चाय-कॉफी के साथ निगल रहे माइक्रोप्लास्टिक

Rewa Riyasat News
4 Nov 2025 7:45 PM IST
चाय की चुस्की बढ़ा रही कैंसर का खतरा: रीवा में रोजाना 3 लाख पेपर कप की खपत, IIT खड़गपुर के शोध ने खोला बड़ा राज़ – चाय-कॉफी के साथ निगल रहे माइक्रोप्लास्टिक
x
IIT खड़गपुर की रिसर्च में खुलासा – पेपर कप में दी जाने वाली चाय या कॉफी से निकलते हैं 25,000 माइक्रोप्लास्टिक कण। रीवा में रोजाना 3 लाख पेपर कप की खपत से बढ़ा कैंसर, हार्मोनल और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का खतरा।
  • रीवा में हर दिन लगभग 3 लाख पेपर कप का उपयोग हो रहा है।
  • IIT खड़गपुर की रिसर्च में खुलासा – गर्म चाय-कॉफी से निकलते हैं 25,000 माइक्रोप्लास्टिक कण।
  • एक व्यक्ति रोजाना लगभग 75,000 प्लास्टिक कण निगल रहा है।
  • स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से कुल्हड़, कांच या स्टील कप के उपयोग की अपील की है।

रीवा (मध्यप्रदेश) में डिस्पोजेबल पेपर कप और प्लास्टिक कप की खपत तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में IIT खड़गपुर के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि पेपर कप में दी जाने वाली गर्म चाय या कॉफी हमारी सेहत के लिए बेहद हानिकारक हो सकती है। यह सिर्फ पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा रही बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का भी कारण बन सकती है।

रीवा में हर दिन 3 लाख पेपर कप की खपत

रीवा शहर में चाय दुकानों, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, फूड कोर्ट और ऑफिस कैफेटेरिया में हर दिन लगभग 3 लाख पेपर कप का उपयोग हो रहा है। स्थानीय थोक विक्रेताओं के अनुसार, त्योहारों और ठंड के मौसम में यह आंकड़ा और बढ़ जाता है। ऐसे में शहर में माइक्रोप्लास्टिक का खतरा काफी गंभीर रूप ले रहा है।

IIT खड़गपुर की रिसर्च ने खोला बड़ा राज़

IIT खड़गपुर की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुधा गोयल और उनकी टीम द्वारा की गई रिसर्च के मुताबिक, जब पेपर कप में गर्म पेय डाला जाता है, तो उसकी अंदरूनी परत, जो प्लास्टिक की पतली फिल्म होती है, टूटने लगती है। सिर्फ 15 मिनट में यह फिल्म करीब 25,000 माइक्रोप्लास्टिक कण पेय में छोड़ देती है। ये सूक्ष्म कण इंसान के शरीर में जाकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक से कैसे बढ़ता है कैंसर का खतरा?

शोध में पाया गया कि माइक्रोप्लास्टिक शरीर में जाकर पैलेडियम, क्रोमियम और कैडमियम जैसी भारी धातुओं के वाहक बन जाते हैं। यह धातुएं हार्मोनल असंतुलन, इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसी बीमारियों का कारण बनती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति लंबे समय में कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती है।

क्यों खतरनाक है पेपर कप की अंदरूनी परत?

पेपर कप 100% पेपर से नहीं बने होते। इनके अंदर एक प्लास्टिक या वैक्स कोटिंग होती है ताकि पेय लीक न हो। जब इसमें 85-90 डिग्री सेल्सियस तापमान का तरल डाला जाता है, तो यह कोटिंग पिघलने लगती है और माइक्रोप्लास्टिक कण पेय में घुल जाते हैं। यह शरीर के लिए “साइलेंट टॉक्सिन” की तरह काम करते हैं।

कुल्हड़, कांच और स्टील हैं सुरक्षित विकल्प

विशेषज्ञों के अनुसार, मिट्टी से बना कुल्हड़ पूरी तरह सुरक्षित और बायोडिग्रेडेबल है। इसके अलावा कांच और स्टील के कप भी बेहतर विकल्प हैं क्योंकि इनमें कोई रासायनिक परत नहीं होती और ये बार-बार धोकर उपयोग किए जा सकते हैं। ये न तो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं और न ही पर्यावरण को।

रीवा में जागरूकता की जरूरत

रीवा नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग को जल्द ही पेपर और प्लास्टिक डिस्पोजल के दुष्प्रभावों पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। शहर के स्कूलों, कॉलेजों और बाजार क्षेत्रों में पोस्टर और जन संवाद के माध्यम से लोगों को चेताया जाय।

Q1. क्या पेपर कप में चाय पीना वाकई खतरनाक है?

हाँ, IIT खड़गपुर की रिसर्च के अनुसार, पेपर कप में गर्म पेय डालने पर माइक्रोप्लास्टिक कण निकलते हैं जो शरीर में जमा होकर कैंसर का कारण बन सकते हैं।

Q2. रीवा में पेपर कप की खपत कितनी है?

रीवा में रोजाना लगभग 3 लाख पेपर कप की खपत होती है, जो शहर में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण का बड़ा स्रोत बन रही है।

Q3. इसके विकल्प क्या हैं?

मिट्टी के कुल्हड़, कांच और स्टील के कप सबसे सुरक्षित विकल्प हैं जो न तो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं और न पर्यावरण को।

Rewa Riyasat News

Rewa Riyasat News

2013 में स्थापित, RewaRiyasat.Com एक विश्वसनीय न्यूज़ पोर्टल है जो पाठकों को तेज़, सटीक और निष्पक्ष खबरें प्रदान करता है। हमारा उद्देश्य स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय घटनाओं तक की भरोसेमंद जानकारी पहुंचाना है।

Next Story