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रीवा: पचमठा मंदिर में आरती से पहले भोजपुरी गानों से आस्था का अपमान, स्थानीय लोग गुस्सा

रीवा के विशिष्ट और ऐतिहासिक पचमठा मंदिर में आरती से पहले भोजपुरी गाने बजने की घटना ने धार्मिक माहौल को संदेह की परिधि में ला खड़ा किया।
पचमठा मंदिर का धार्मिक महत्व
यह मंदिर आदि शंकराचार्य द्वारा पंचमठ के रूप में ब्रिट के पाँच स्थानों में 600 साल पहले स्थापित है और इसकी धार्मिक महत्ता सदियों से है ।
आरती से पहले भोजपुरी गानों का क्या हुआ?
शाम 6:45 बजे के आसपास आरती से पहले युवा पुजारी द्वारा मगज़ी-भोजपुरी गानों का बजाया जाना शिकायत का कारण बना। इसे धार्मिक रस्मों की अवहेलना माना गया है।
नौजवान पंडितों की भूमिका
भक्तों का आरोप है कि युवा पंडितों द्वारा पुरातन भजन और मंत्र छोड़कर भोजपुरी लोक-संगीत बजाकर उन्होंने मंदिर की आध्यात्मिकता को मज़ाक बनाया।
जनता की तीव्र आलोचना
स्थानीय लोग सोशल मीडिया और फेस-टू-फेस दोनों जगह इस पर नाराज़गी व्यक्त कर रहे हैं। यह मंदिर हमारी शान है, इसका ऐसा अपमान बर्दाश्त नहीं होगा" जैसे भाव प्रमुख हैं ।
धार्मिक माहौल क्यों बिगाड़ा गया?
भजन की समय-निर्धारित प्रवाह टूटते ही लोग ध्यान केंद्रित नहीं कर पाए, और श्रद्धा का अनुभव मनोरंजन में बदल गया। इससे भक्तों की आध्यात्मिक अनुभूति बाधित हुई।
अन्य मंदिरों में मर्यादा
दूसरे ऐतिहासिक मंदिरों में आरती-पूर्व भजन बजाए जाते हैं। वहाँ शास्त्रीय और धार्मिक संगीत को प्राथमिकता होती है, जो श्रद्धालुओं को केंद्रित रखे।
FAQs
Q1. क्या यह पहला मामला है?
ऐसा मामला पहले नहीं देखा गया, लेकिन धार्मिक स्थलों पर संगीत के चुनाव को लेकर असंतोष रहेगा।
Q2. क्या मंदिर प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी किया?
इस समय केवल जांच शुरू होने की प्रतिक्रिया मिली है, लेकिन कोई औपचारिक जवाब अभी नहीं आया।
Q3. अगर आपत्ति जारी रहती है तो भक्त क्या कदम उठा सकते हैं?
भक्त सुझाव समिति में भाग लेकर या ऑनलाइन फीडबैक देकर अपनी आवाज़ उठा सकते हैं।
Q4. भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए क्या समाधान हो सकता है?
दृढ़ संगीत नीति, समय-निर्धारण और आयोजन समिति गठन ही समाधान हो सकता है।




