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रीवा जिले के आउटसोर्स कर्मचारियों को 6-6 महीने तक नहीं मिल रही सैलरी! अधिकारी डकार रहे मेहनत की कमाई, क्या सरकार लेगी एक्शन?

रीवा में आउटसोर्स कर्मचारियों की सैलरी लटकाना बना घोटाले की शक्ल
APS यूनिवर्सिटी रीवा में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सैलरी का क्या हाल है – इसका जवाब बेहद चौंकाने वाला है। जहां एक तरफ सरकार "सबका साथ, सबका विकास" की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर रीवा जिले में आउटसोर्स कर्मचारियों की सैलरी 6-6 महीने तक अटकी पड़ी है।
ताबड़तोड़ काम, लेकिन मेहनताना अधूरा
आउटसोर्सिंग कर्मचारी को 6 महीने से सैलरी क्यों नहीं मिली?– कर्मचारियों से पूरे समय पर काम लिया जा रहा है लेकिन सैलरी या तो दी ही नहीं जा रही या नाम मात्र की दी जा रही है। कुछ कर्मचारियों को 2 से 3 हज़ार रुपए कम दिए जाते है और उनका पैसा कहा जाता है वो खुद नहीं जानते?
सैलरी का पैसा कौन डकार रहा है?
कर्मचारी वेतन का पैसा कौन छुपा रहा है– सूत्रों के अनुसार, बजट तो जारी हो चुका है लेकिन वह कर्मचारियों तक पहुंच नहीं रहा। सवाल यह है कि बीच में कौन सा अधिकारी पैसा हड़प रहा है?
सरकार की गाइडलाइन के खिलाफ जा रहा सिस्टम
एमपी में सरकारी कर्मचारियों की सैलरी लेट क्यों होती है – सरकारी गाइडलाइन के अनुसार, किसी भी आउटसोर्स कर्मचारी को समय पर वेतन देना अनिवार्य है, लेकिन APS यूनिवर्सिटी और अन्य कॉलेजों में यह नियम कागजों तक ही सीमित है।
APS यूनिवर्सिटी रीवा का हाल
एपीएस रीवा में कर्मचारियों के वेतन में देरी पर क्या कार्रवाई हुई – फिलहाल कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। कई कर्मचारी संगठनों ने शिकायत की है, लेकिन नतीजा सिफर।
अन्य कॉलेजों में भी शोषण
आउटसोर्सिंग कर्मचारी वेतन घोटाला एमपी में कैसे बढ़ रहा है – न सिर्फ APS यूनिवर्सिटी, बल्कि अन्य सरकारी संस्थानों में भी यही हाल है। जबलपुर, सतना, और शहडोल से भी ऐसी खबरें आई हैं।
नियमों का डर दिखाकर चुप कराया जा रहा
आउटसोर्सिंग कर्मचारी शोषण का वीडियो कहां मिलेगा– कई कर्मचारियों ने गुप्त कैमरे से रिकॉर्डिंग की लेकिन प्रशासन द्वारा "नौकरी चली जाएगी" जैसी धमकियों से उन्हें चुप करा दिया गया।
कर्मचारियों का दर्द – घर चलाना मुश्किल
रीवा में कर्मचारी को सही सैलरी कब मिलेगी – जब सैलरी नहीं मिलती, तो बच्चों की फीस, राशन और इलाज कैसे हो? कई कर्मचारियों ने कर्ज ले रखा है, EMI नहीं चुका पा रहे।
क्या सरकार लेगी एक्शन?
एमपी में सैलरी ना मिलें पर शिकायत कैसे करें– सवाल उठता है कि सरकार कब तक चुप रहेगी? क्या वे सिर्फ पोर्टल और शिकायत फॉर्म बनाने तक सीमित रहेंगे या जमीन पर कार्रवाई भी होगी?




