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विधायक अभय मिश्रा ने रीवा DM को भ्रष्ट कहा: आरोप- 'कलेक्टर ने आदमी पाल रखें हैं, पैसा उनकी कमजोरी'

• दावा—58 किसानों को सरकारी खरीदी का भुगतान नहीं मिला
• विधायक ने समिति प्रबंधक, वेयरहाउसिंग और नान पर भी सवाल उठाए
• कलेक्टर की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी नहीं
Rewa Political Controversy | सेमरिया विधायक अभय मिश्रा का बड़ा बयान, कलेक्टर पर निशाना
रीवा जिले में एक बार फिर राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सेमरिया से कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा ने मंगलवार को विधानसभा परिसर में मीडिया से चर्चा के दौरान रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल पर गंभीर आरोप लगाए।
अभय मिश्रा ने मीडिया से कहा, "हमारे यहां की कलेक्टर भ्रष्ट हैं। पैसा उनकी कमजोरी है। वो रुपया-पैसा कमाती हैं। उन्होंने आदमी पाल रखे हैं।"
विधायक ने कहा कि जिले में सरकारी खरीदी, भुगतान प्रक्रिया और समितियों के संचालन को लेकर भारी अनियमितताएँ हैं, जिनके कारण 58 किसानों को अपनी मेहनत की कमाई का भुगतान नहीं मिल पा रहा है। ये विवाद अब तेजी से राजनीतिक रूप ले रहा है, वहीं प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार है।
MLA’s Allegations | “58 किसानों को फसल बेचने के बाद भी पैसा नहीं मिला”
अभय मिश्रा ने आरोप लगाया कि जिले के 58 किसान ऐसे हैं जिन्होंने सरकार द्वारा बनाए गए विजया वेयर हाउस स्थित सरकारी खरीदी केंद्र में अपनी फसल बेची। उन्होंने कहा— “जो किसान खाद के लिए उधार लेते हैं, कठिन परिश्रम से फसल उगाते हैं, उन्हें ही भुगतान नहीं दिया जा रहा। किसानों की यह गलती थी कि उन्होंने सरकारी केंद्र पर फसल बेची।”
Committee & System Allegations | समिति प्रबंधक व नान पर प्रश्न
विधायक का कहना है कि सहकारिता के समिति प्रबंधक, वेयरहाउसिंग विभाग और नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के कर्मचारी मिलकर उपार्जन समिति बनाते हैं और कलेक्टर इस समिति की अध्यक्ष होती हैं।
उन्होंने दावा किया— “समिति के स्तर पर भी कई अनियमितताएँ हुई हैं। किसानों के पंजीयन में गलत तरीके अपनाए गए हैं, और गलत नामों में भुगतान किया गया।”
Posting Irregularity Claim | एक कर्मचारी की लंबे समय से पदस्थापना पर सवाल
मिश्रा ने आरोप लगाया कि जिले में ज्ञानेंद्र नामक व्यक्ति पिछले चार से पाँच वर्षों से अपने गृह ग्राम में पदस्थ है, जबकि यह नियम विरुद्ध है। उन्होंने कहा— “अफसर एक ही जवाब भेजते हैं कि वह रीवा जिले का निवासी नहीं है, जबकि स्थिति अलग है। इसी व्यक्ति के माध्यम से गलत निर्णय हो रहे हैं।”
Receipts & Fake Registration Claim | फर्जी पंजीयन के आरोप
विधायक ने कहा कि समितियों के स्तर पर फर्जी पंजीयन कराए गए और वास्तविक किसानों को रसीदें मिलने के बावजूद भुगतान नहीं किया गया। उन्होंने कहा— “सरकारी पंजीयन नीति में खामियां हैं। कोई भी व्यक्ति बंटाई या सिकमी में असीमित पंजीयन करा सकता है, जबकि इसमें कैप होना चाहिए।”
Officer Suspended | “किसानों का पक्ष रखने वाली अधिकारी को निलंबित किया गया”
अभय मिश्रा ने दावा किया कि जब एक अधिकारी रीना श्रीवास्तव ने किसानों के हित में रिपोर्ट भेजी, तो उन्हें निलंबित कर दिया गया। उन्होंने कहा— “कलेक्टर ने पूछ लिया कि किसानों के पक्ष में क्यों बोला? इसके बाद कमेटी बैठाई गई, लेकिन किसानों की बात सुने बिना समिति प्रबंधक के पक्ष में रिपोर्ट बना दी गई।”
Portal Deletion Allegation | “किसानों के नाम पोर्टल से हटवा दिए गए”
विधायक ने यह भी दावा किया कि जिन किसानों को भुगतान नहीं मिला, उनके नाम को बाद में पोर्टल से हटा दिया गया। उन्होंने कहा— “कहा गया कि ये किसान फर्जी हैं। पर जब हंगामा हुआ तो कहा गया कि ये किसान सही हैं और भुगतान होना चाहिए। लेकिन नाम हटने के कारण अब भुगतान की प्रक्रिया ही अटक गई है।”
MP’s Warehouse Mention | विधायक ने सांसद के वेयरहाउस का भी उल्लेख किया
विधायक ने कहा कि स्थानीय सांसद की पत्नी के नाम का एक वेयरहाउस है जिसमें सरकारी खरीदी केंद्र संचालित होता है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया— “सांसद का इसमें कोई दोष नहीं। सरकारी प्रक्रिया में वेयरहाउसों पर खरीदी केंद्र बनाए जा सकते हैं।”
Current Situation | किसानों की स्थिति, प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार
विधायक के अनुसार किसानों के पास अब भुगतान का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं है। कई किसान लगातार कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। वहीं जिला प्रशासन की ओर से इस समय तक आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
FAQs | अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या कलेक्टर के खिलाफ कोई आधिकारिक जांच शुरू हुई है?
अब तक जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी जारी नहीं की गई है।
कितने किसानों को भुगतान नहीं मिला?
विधायक के अनुसार लगभग 58 किसानों को सरकारी खरीदी की राशि नहीं मिली है।
विजया वेयरहाउस मामला क्या है?
विधायक का आरोप है कि इस वेयरहाउस पर खरीदी के दौरान अनियमितताएँ हुईं और कुछ किसानों के नाम पोर्टल से हटाए गए।
क्या फर्जी पंजीयन का आरोप नया है?
विधायक ने कहा कि समितियों द्वारा गलत नामों से पंजीयन कराए गए, और वास्तविक किसानों को भुगतान में देरी हुई।
क्या सांसद परिवार का इसमें कोई रोल है?
विधायक ने कहा कि सांसद या उनके परिवार की कोई संलिप्तता नहीं है, केवल वेयरहाउस पर खरीदी केंद्र बनाया गया था।
Rewa Riyasat News
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