रीवा

रीवा विधायक और कलेक्टर ने अस्पतालों की रूपरेखा ही बदल दी, तो यह नायब तहसीलदार भी किसी हरफनमौला अधिकारी से कम नहीं

Aaryan Dwivedi
24 May 2021 10:58 AM GMT
रीवा विधायक और कलेक्टर ने अस्पतालों की रूपरेखा ही बदल दी, तो यह नायब तहसीलदार भी किसी हरफनमौला अधिकारी से कम नहीं
x
रीवा. कोरोना महामारी के चलते भारत के भी अधिकांश स्थानों की स्वास्थ्य व्यवस्था डगमगा गई थी. लेकिन मध्य प्रदेश का रीवा जिला ऐसा है, जिसके अस्पतालों ने ऐसी महामारी के बीच मिसाल कायम की है. दूसरी लहर आने के पहले ही रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल, कलेक्टर इलैयाराजा टी और जनप्रतिनिधियों ने स्वास्थ्य और अस्पतालों की रूपरेखा ही बदल डाली. सरकारी अस्पतालों में ऐसी व्यवस्थाएं करवा दी जो कभी विंध्य वासियों ने कल्पना भी नहीं की थी. 

जब भी दुनिया में महामारी आई है, बड़े-बड़े देशों की अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य व्यवस्था से लेकर आम जनजीवन तक बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. इसी तरह 2019 में आई कोरोना महामारी की वजह से भी हुआ.

रीवा. कोरोना महामारी के चलते भारत के भी अधिकांश स्थानों की स्वास्थ्य व्यवस्था डगमगा गई थी. लेकिन मध्य प्रदेश का रीवा जिला ऐसा है, जिसके अस्पतालों ने ऐसी महामारी के बीच मिसाल कायम की है. दूसरी लहर आने के पहले ही रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल, कलेक्टर इलैयाराजा टी और जनप्रतिनिधियों ने स्वास्थ्य और अस्पतालों की रूपरेखा ही बदल डाली. सरकारी अस्पतालों में ऐसी व्यवस्थाएं करवा दी जो कभी विंध्य वासियों ने कल्पना भी नहीं की थी.

इसी का सकारात्मक परिणाम है कि रीवा जिले में बढ़ते मामलों के बावजूद भी किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना यहां की जनता को नहीं करना पड़ा. पूर्व मंत्री एवं रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल (Former Minister & Rewa MLA Rajendra Shukla) ने स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी व्यवस्था में कमी नहीं आने दी, तो कलेक्टर इलैयाराजा (Rewa Collector Dr. Ilayaraja T.) ने एक तरह से अस्पतालों की प्रशासनिक व्यवस्था की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली. लिहाजा तीन माह पहले जिस संजय गाँधी अस्पताल के नाम से लोग भागते थें, आज वही अस्पताल विंध्य ही नहीं बल्कि प्रदेश के कई शहरों के लोगों की पहली पसंद बन गया.

समय रहते शुरू की थी पहल

दरअसल, कलेक्टर इलैयाराजा टी. जहां भी पदस्थ रहें हैं, उन्होंने स्वास्थ्य और शिक्षा की ओर विशेष ध्यान दिया. ठीक ऐसा ही उन्होंने रीवा में भी किया. रीवा आते ही वे रीवा की चरमराई स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास शुरू किया. शिक्षा के लिए उन्हें कोरोना के चलते ज्यादा वक़्त तो नहीं मिल पाया, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर आने के पहले स्वास्थ्य में उन्होंने ऐसा काम कर डाला जो पहले किसी ने नही किया.

SGMH की रूपरेखा बदल दी

कलेक्टर विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल SGMH (संजय गाँधी मेमोरियल हॉस्पिटल) की पूरी रूपरेखा ही बदल डाली. सबसे पहले उन्होंने अस्पताल की सफाई के लिए निर्देशित किया. इसके बाद सालों से बंद पड़े अस्पताल के सभी उपकरणों को ऑपरेटिव बनवाया. साथ ही समय-समय पर चिकित्सकों के OPD और वार्ड विजिट पर निगरानी शुरू की.

प्रशासन की उदासीनता के चलते जो अस्पताल सालों से उपलब्ध सेवाएं नहीं दे पा रहा था, वह 2021 में बेहतर तौर पर सेवाएं देने लगा. लिहाजा जब कोरोना की दूसरी लहर से पूरा देश लड़ रहा था, तब रीवा का यही अस्पताल बेहतर सेवाएं दे रहा था. गंभीर से गंभीर मरीजों को स्वस्थ करके घर भेजने लगा, बातें विंध्य से बाहर गई तो जबलपुर, इंदौर, भोपाल जैसे शहरों के मरीज भी आकर SGMH में इलाज लेने लगें. जबकि इसके पहले विंध्य के मरीज अन्य शहरों की तरफ भागते थें.

रीवा शहर में तीन अस्पताल संचालित हैं. संजय गाँधी स्मृति चिकित्सालय, जिला अस्पताल एवं सुपर स्पेशलिटी अस्पताल. जिला अस्पताल एवं SGMH में कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा था. Super Specialty Hospital में अन्य मरीजों का. बढ़ते कोरोना संक्रमितों के चलते सुपर स्पेशलिटी को भी रिज़र्व रखा गया था.

ऑक्सीजन की भरपूर व्यवस्था

इन सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की भरपूर व्यवस्था है. जबकि देश के अन्य शहर ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहें थें. रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल, कलेक्टर इलैयाराजा टी और SSMC के डीन डॉ. इंदुलकर की सक्रियता और अथक प्रयास के चलते महज दो दिनों में ही सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करा दिया गया था. जिससे रीवा में कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की कमी नहीं हो पाई.

24 घंटे एक्टिव रहते हैं कलेक्टर

ऐसा जिलाधीश मिलना किसी जिले के लिए वरदान से कम भी नहीं है जो चौबीसों घंटे जनता के सेवा के लिए तत्पर रहता हो. बेहद शालीन और गंभीर मिजाज के डीएम इलैयाराजा रीवा की जनता के लिए 24 घंटे उपलब्ध हैं. वे फोन से लेकर व्हाट्सएप तक में जनता की समस्या को सुनते भी हैं और उसका निदान भी करते हैं. कुछ दिनों पूर्व ही जिला अस्पताल में ऑक्सीजन का संकट हुआ था, कई मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट में थें, अलसुबह उन्हें सूचना दी गई, उन्होंने फ़ौरन मौके पर पहुंच कर ऑक्सीजन की व्यवस्था की.

कलेक्टर की तरह ही हरफनमौला अधिकारी हैं नायब तहसीलदार

कलेक्टर इलैयाराजा टी की ही तरह कोरोना काल में नायब तहसीलदार यतीश शुक्ला भी हरफनमौला अधिकारी बनकर उभरे हैं. यतीश शुक्ला इस महामारी के बीच एक मशीनरी की तरह काम कर रहें हैं. कई दफा इन्होने चौबीसों घंटे ड्यूटी दी है. इनके इसी लगन के चलते ये न सिर्फ वरिष्ठ अधिकारियों, बल्कि रीवा की जनता के भी चहते अफसर बन गए हैं.

बड़ी जिम्मेदारियां मिली, बाखूबी निभा रहें

यतीश शुक्ला ने हर उस काम को बाखूबी निभाया जिसे उन्हें कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार ने सौंपा. कोरोना काल में उन्हें वैक्सीनेशन, लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई, कोरोना मरीजों की मॉनिटरिंग का जिम्मा सौंपा गया है.

इसके पहले अमानक खाद्य पदार्थों के खिलाफ कार्यवाही, अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई जैसी कई बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी गई थी, जिस पर वे पूरे खरे उतरे हैं. ऐसे हंसमुख और मिलनसार अधिकारी को हर परिस्थिति में ढलना और उसे कंट्रोल करना बाखूबी आता है, इसलिए कलेक्टर की ही तरह ये भी जनता के चहेते बन चुके हैं.

Next Story