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रीवा के संजय गांधी अस्पताल से लापता मरीज का शव 24 घंटे बाद मोर्चरी में मिला, पुलिस जांच में जुटी

रीवा के संजय गांधी अस्पताल से लापता मरीज का शव 24 घंटे बाद मोर्चरी में मिला, पुलिस जांच में जुटी
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रीवा के संजय गांधी अस्पताल में लापता मरीज का शव 24 घंटे बाद मोर्चरी में मिला, पुलिस जांच में जुटी | Missing patient in Rewa found dead in mortuary after 24 hrs

रीवा। मध्य प्रदेश के रीवा जिले के संजय गांधी अस्पताल में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां इलाज के लिए आए एक मरीज का शव उसके लापता होने के 24 घंटे बाद अस्पताल की मोर्चरी में मिला है। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने मामले को संदिग्ध मानते हुए जांच शुरू कर दी है।

जानकारी के अनुसार, मनगवां थाना क्षेत्र के ग्राम गोदरी निवासी अरुण कुमार सोनिया अपने पैर में आई सूजन का इलाज कराने के लिए संजय गांधी अस्पताल पहुंचे थे। उन्हें उनके रिश्तेदार संतोष सोनी लेकर आए थे। संतोष ने बताया कि अरुण को पहले एक झोलाछाप डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाया था, जिसके बाद उनके पैर में सूजन आ गई थी। इसी का इलाज कराने के लिए वे दोनों रीवा के संजय गांधी अस्पताल आए थे।

अस्पताल पहुंचने के बाद संतोष ने अरुण को ओपीडी गेट के पास बैठाया और पर्ची बनवाने के लिए चले गए। उनका कहना है कि वे लगभग 15 मिनट बाद वापस लौटे, लेकिन तब तक अरुण वहां से गायब हो चुके थे। उन्होंने कई घंटों तक पूरे अस्पताल परिसर में अरुण की तलाश की, लेकिन उनका कोई सुराग नहीं मिला। रात भर की तलाश के बाद भी जब अरुण नहीं मिले तो परिजनों ने अस्पताल प्रशासन से संपर्क किया और उनके लापता होने की सूचना दी।

अगली सुबह, अस्पताल के गेट के पास एक अज्ञात व्यक्ति का शव मिलने की खबर आई। संतोष सोनी तुरंत वहां पहुंचे और उन्होंने शव की पहचान अरुण कुमार सोनिया के रूप में की। यह देखकर संतोष और उनके परिजन सदमे में आ गए। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि जो व्यक्ति कल अस्पताल में जीवित था, उसका शव अचानक मोर्चरी में कैसे पहुंच गया। इस घटना ने अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों में भी डर का माहौल पैदा कर दिया है।

इस घटना के बाद पुलिस को सूचित किया गया। पुलिस ने तत्काल मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और पंचनामा तैयार किया। पुलिस ने बताया कि उन्होंने संतोष सोनी के बयान दर्ज कर लिए हैं और इस मामले में अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि अरुण की मौत कैसे हुई और उनका शव अस्पताल के मोर्चरी तक कैसे पहुंचा। पुलिस अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाल रही है ताकि इस रहस्य से पर्दा उठ सके।

इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों के बढ़ते खतरे को भी उजागर किया है। जिस तरह से एक झोलाछाप डॉक्टर के इंजेक्शन के बाद मरीज की तबीयत बिगड़ी, उससे यह स्पष्ट है कि ऐसे डॉक्टरों पर लगाम लगाना कितना जरूरी है। फिलहाल, अरुण के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है और इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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