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रीवा मंडी बोर्ड: उप संचालक को ₹11.85 लाख वसूली का नोटिस, भ्रष्टाचार के आरोप

रीवा मंडी बोर्ड: उप संचालक को ₹11.85 लाख वसूली का नोटिस, भ्रष्टाचार के आरोप
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रीवा मंडी बोर्ड ने भ्रष्टाचार के मामले में उप संचालक डॉ. आनंद मोहन शर्मा को ₹11.85 लाख की वसूली का नोटिस जारी किया है। उन पर वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप हैं।

मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड (मंडी बोर्ड) ने भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों पर सख्त रुख अपनाया है। हाल ही में, मंडी बोर्ड ने अपने उप संचालक डॉ. आनंद मोहन शर्मा को नोटिस जारी करते हुए उनसे ₹11.85 लाख की वसूली का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, उन्हें जबलपुर मंडी में अपनी पिछली पदस्थापना के दौरान लापता हुए अभिलेखों और दस्तावेजों को भी तत्काल जमा करने के आदेश दिए गए हैं। यह कार्रवाई बोर्ड द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ की जा रही मुहिम का हिस्सा है।

शिकायत और आरोपों का विवरण

डॉ. आनंद मोहन शर्मा के खिलाफ मंडी बोर्ड के आंचलिक कार्यालय रीवा में मुख्यालय को शिकायत भेजी गई थी। भारतीय मानवाधिकार एसोसिएशन मध्यप्रदेश के सुधाकर पांडेय ने भ्रष्टाचार से जुड़े कुछ दस्तावेजों के साथ यह शिकायत की थी, जिसमें शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और उन्हें निलंबित करने की मांग की गई थी। इसी शिकायत के आधार पर मंडी बोर्ड ने वसूली का यह नोटिस जारी किया है।

शिकायतकर्ता ने बताया कि डॉ. शर्मा मूलतः कृषि विभाग के अधिकारी हैं, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते वे बार-बार मंडी बोर्ड में प्रतिनियुक्ति (deputation) पर नियुक्त होते रहे। इसी दौरान उनके कार्यकाल में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के मामले सामने आए। शर्मा पर अंतरित पेंशन व अवकाश नकदीकरण का अनियमित भुगतान, साथ ही भंडार क्रय नियमों के विरुद्ध अधिक भुगतान जैसे कई आरोप हैं। इन्हीं अनियमितताओं के चलते उनसे ₹11.85 लाख की वसूली का नोटिस जारी किया गया है।

कृषि विभाग के उप संचालक पर भी शिकायत

केवल मंडी बोर्ड ही नहीं, कृषि विभाग के उप संचालक के खिलाफ भी संभागायुक्त कार्यालय में शिकायत की गई है। उन पर नियम विरुद्ध कार्य करवाने का आरोप है। शिकायत में कहा गया है कि वे किसानों को बीज वितरण के दौरान ₹1430 का कीटनाशक किट जबरन दे रहे हैं, जबकि यह बाज़ार में काफी कम कीमत पर उपलब्ध है। इस मामले में भी जांच की मांग की गई है। सिरमौर क्षेत्र के कई गाँवों के किसानों का प्रतिनिधि मंडल शिकायत लेकर संभागायुक्त कार्यालय पहुँचा था, जिससे यह पता चलता है कि यह मामला भी काफी गंभीर है और किसानों को सीधे तौर पर प्रभावित कर रहा है।

भ्रष्टाचार पर नकेल कसने की कवायद

मंडी बोर्ड और कृषि विभाग में सामने आ रहे ये मामले सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने की आवश्यकता को उजागर करते हैं। अधिकारियों द्वारा की जा रही वित्तीय अनियमितताएँ और नियमों का उल्लंघन न केवल सरकार को राजस्व का नुकसान पहुँचाता है, बल्कि आम जनता, विशेषकर किसानों पर भी इसका सीधा बोझ पड़ता है। इन मामलों में की जा रही कार्रवाई दर्शाती है कि अब प्रशासन भ्रष्टाचार को लेकर सख्त है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उम्मीद है कि इन जांचों के बाद और भी ऐसे मामले सामने आएंगे और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी।

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